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Saturday, June 28, 2025

राहुल गांधी पर टिप्पणी से पहले बीजेपी का पाकिस्तान प्रेम देखें: राघवेन्द्र चौबे का केशव प्रसाद मौर्य को करारा जवाब

वाराणसी, 24 मई 2025, शनिवार: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को “पाकिस्तान का प्रवक्ता” कहने पर वाराणसी कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। चौबे ने एक पोस्टर जारी कर मौर्य के बयान को “अनर्गल प्रलाप” करार दिया और बीजेपी के “पाकिस्तान प्रेम” पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने मौर्य को सलाह दी कि राहुल गांधी पर टिप्पणी करने से पहले वह अपनी पार्टी के इतिहास और नेताओं के पाकिस्तान के साथ संबंधों पर अध्ययन करें।

चौबे ने तथ्यों के साथ बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इंदिरा गांधी द्वारा स्थापित रॉ की काउंटर इंटेलिजेंस विंग CIT-X को बंद कर दिया था। इसके बदले पाकिस्तान ने मोरारजी को ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाजा। उन्होंने आगे कहा कि वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनते ही नवाज शरीफ से मिलने लाहौर जाने का नतीजा कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया।

चौबे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि मोदी के इस्लामाबाद दौरे और नवाज शरीफ के साथ “बिरयानी डिप्लोमेसी” के बाद पठानकोट में आतंकी हमला हुआ। इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं की जासूसी में संलिप्तता भी सामने आ चुकी है।

गांधी परिवार के बलिदान की याद दिलाई

चौबे ने गांधी परिवार के देश निर्माण में योगदान और बलिदान को रेखांकित करते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास त्याग और समर्पण से भरा है। उन्होंने मौर्य पर सस्ती लोकप्रियता के लिए बयानबाजी करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि ऐसी टिप्पणियों का कांग्रेस कार्यकर्ता माकूल जवाब देंगे।

“सूरज को दीया दिखाने की कोशिश न करें”

राघवेन्द्र चौबे ने अपने बयान में केशव मौर्य को नसीहत दी कि वह “सूरज को दीया दिखाने” की कोशिश न करें। उन्होंने कहा कि मौर्य अपनी हार और कुर्सी बचाने की चिंता में राहुल गांधी पर अनुचित टिप्पणियां कर रहे हैं। यह बयान न केवल राजनीतिक माहौल को गरमाने वाला है, बल्कि बनारस में कांग्रेस और बीजेपी के बीच तनातनी को और बढ़ा सकता है।

राघवेन्द्र चौबे का यह बयान न सिर्फ केशव मौर्य के लिए चुनौती है, बल्कि बीजेपी के इतिहास और नीतियों पर गंभीर सवाल उठाता है। अब देखना यह है कि इस बयानबाजी का जवाब बीजेपी किस तरह देती है और बनारस का सियासी माहौल कितना और गरमाता है।

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