पटना, 24 जनवरी 2025, शुक्रवार। मोकामा में पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच वर्चस्व की लड़ाई फिर से शुरू हो गई है। यह दोनों समूहों के बीच पुराने विवाद और वर्चस्व की जंग का नतीजा है। इससे पहले भी दोनों के बीच कई बार टकराव हो चुका है, जिसमें हत्या की साजिशें भी शामिल हैं। सोनू-मोनू गिरोह ने अनंत सिंह की हत्या की कई बार कोशिश की है, जिसमें एक बार तो एके-47 तक खरीद ली गई थी। हालांकि, पुलिस ने समय रहते कार्रवाई करते हुए हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के मुख्तार अंसारी का नाम भी शामिल है। यह गैंगवार पुराने विवाद और वर्चस्व की जंग का नतीजा है, जो कि मोकामा में शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
अनंत सिंह पर हमले की कोशिशें, साजिश और गिरफ्तारी
पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच की दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। यह दुश्मनी कई साल पुरानी है और इसमें कई बार हत्या की कोशिशें भी हुईं। 2017 में, मोनू सिंह ने अनंत सिंह को मारने के लिए मुंगेर से 6 लाख रुपये में एके-47 राइफल खरीदी थी। सोनपुर में हत्या की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी। 2018 में, फिर से अनंत सिंह की हत्या की साजिश रची गई। पुलिस ने समय रहते मोनू और उसके साथी निलेश को गिरफ्तार कर लिया। सोनू-मोनू गिरोह ने अनंत सिंह की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी ली थी। यह दुश्मनी और साजिशें मोकामा में शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।
अनंत सिंह पर हमले की साजिश: सोनू-मोनू गिरोह का आतंक, मुख्तार अंसारी से जुड़े तार!
अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। अनंत सिंह के जेल से रिहा होने के बाद दोनों के बीच रिश्ते सुधरे थे, लेकिन फिर से वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। सोनू और मोनू दोनों सगे भाई हैं और मिलकर गैंग चलाते हैं। इन पर लूट, रंगदारी और हत्या जैसे कई संगीन अपराधों के मामले दर्ज हैं। इस गिरोह के तार बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली तक फैले हैं। सोनू-मोनू गिरोह का संबंध उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक रहे मुख्तार अंसारी से भी रहा है। यह बात खुद मोनू ने 2018 में गिरफ्तारी के बाद पटना पुलिस को बताई थी।
सोनू-मोनू: मोकामा के कुख्यात अपराधी, अनंत सिंह के साथ पुरानी दुश्मनी!
नौरंगा गांव के रहने वाले सोनू-मोनू इलाके के कुख्यात अपराधी हैं। इन पर हत्या, अपहरण और फिरौती समेत 12 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं। मोकामा में अनंत सिंह के साथ इनकी पुरानी दुश्मनी है। 2009 में ट्रेन में लूटपाट के बाद सोनू-मोनू का गांव में ही दरबार लगने लगा था। दोनों के खिलाफ मोकामा जीआरपी में कई मामले दर्ज हैं। ये सभी मामले ट्रेन में लूटपाट से जुड़े हैं। पटना के अगमकुआं थाना क्षेत्र में हथियार बरामदगी मामले में मोनू बेऊर जेल में कई महीनों तक सजा काट चुका है।
अनंत सिंह और मोनू की दुश्मनी: जेल से छूटने के बाद अच्छी शुरुआत, लेकिन फिर से वर्चस्व की लड़ाई!
अनंत सिंह के जेल से छूटने के बाद मोनू उनसे मिलने गया था। उस समय दोनों के बीच अच्छी बातचीत हुई थी, जिससे गांव वालों को लगा कि अब दोनों के बीच रिश्ते सुधर जाएंगे। लेकिन बाद में फिर से वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। 2022 में अनंत सिंह के घर से एके-47 राइफल, हैंड ग्रेनेड और 27 गोलियां मिली थीं। ये चीजें उनके पैतृक गांव स्थित घर से बरामद हुई थीं। इससे पहले उनके सरकारी आवास से इंसास राइफल की मैगजीन और विदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट मिली थी। यह घटना दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई को और बढ़ावा देती है।
अनंत सिंह: 9 साल की उम्र में पहली गिरफ्तारी, 39 मुकदमे और ‘छोटे सरकार’ की कहानी!
अनंत सिंह का जीवन विवादों से भरा रहा है। वह पहली बार 9 साल की उम्र में हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए थे, और 15 साल की उम्र में उन्हें दूसरी बार जेल जाना पड़ा। उनके खिलाफ अपहरण, हत्या, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम, और यूएपीए सहित 39 मुकदमे दर्ज हैं। उनकी छवि 90 के दशक तक एक रॉबिनहुड जैसी थी, लेकिन बाद में उनके खिलाफ कई आरोप लगे। उन पर जमीन कब्जाने के आरोप भी लगे, जब उन्होंने पाटलिपुत्र कॉलोनी में एक आलीशान होटल और फ्रेजर रोड में एक मॉल का निर्माण कराया। अनंत सिंह को लोग ‘छोटे सरकार’ कहते हैं, क्योंकि वह अपने परिवार में सबसे छोटे हैं और उन्होंने कम उम्र में ही मोकामा टाल क्षेत्र में अपना कब्जा जमा लिया था।