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Monday, June 23, 2025

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मुख्यमंत्री परिषद में बस्तर के नवाचारों की जमकर सराहना

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया: बस्तर कैसे बना संस्कृति और विकास का केंद्र

नई दिल्ली, 25 मई 2025, रविवार। दिल्ली के अशोक होटल में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल, सुशासन और जनभागीदारी के नवाचारों ने सबका ध्यान खींचा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा प्रस्तुत बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे अनूठे कार्यक्रमों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य मुख्यमंत्रियों ने खुलकर सराहा। बैठक में उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री साय ने छत्तीसगढ़ में सुशासन के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ‘सुशासन एवं अभिसरण विभाग’ और ‘अटल मॉनिटरिंग पोर्टल’ जैसे डिजिटल उपायों से योजनाओं की पारदर्शी निगरानी और शिकायतों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शासन का लक्ष्य योजनाओं को जमीन पर उतारना है।

बैठक में केंद्र की प्रमुख योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत और जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा हुई। साय ने बताया कि ग्रामसभा, जनसंवाद और तकनीक के जरिए इन योजनाओं को छत्तीसगढ़ में जन-जन तक पहुंचाया गया।

बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम पर साय का प्रजेंटेशन चर्चा का मुख्य आकर्षण रहा। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘खेलोगे इंडिया, जीतोगे इंडिया’ मंत्र को चरितार्थ करते हुए बताया कि बस्तर ओलंपिक ने युवाओं को हिंसा से दूर कर खेलों की ओर प्रेरित किया। इसमें 7 जिलों के 32 विकासखंडों से 1.65 लाख प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 40 दिनों तक चले इस आयोजन में तीरंदाजी, खो-खो, कबड्डी जैसे 11 पारंपरिक खेल शामिल थे, जिन्हें जूनियर, सीनियर, महिला और दिव्यांग वर्गों में बांटा गया।

मुख्यमंत्री ने दोरनापाल के पुनेन सन्ना का उदाहरण दिया, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र से होने के बावजूद व्हीलचेयर दौड़ में मेडल जीतकर प्रेरणा बने। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में भी बस्तर ओलंपिक को बस्तर की आत्मा का उत्सव बताया था।

बस्तर पंडुम के जरिए आदिवासी संस्कृति को संरक्षित कर राष्ट्रीय पहचान दिलाई गई। इसमें 47,000 प्रतिभागियों और 1,743 सांस्कृतिक दलों ने हिस्सा लिया। लोकनृत्य, गीत-संगीत और पकवान प्रतियोगिताओं के साथ 2.4 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। इस आयोजन ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक माहौल बनाया।

छत्तीसगढ़ के बस्तर मॉडल को बैठक में विशेष सराहना मिली, और इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया गया।

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