बरेली, 12 अप्रैल 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में कैंट विधानसभा सम्मेलन के दौरान मेयर डॉ. उमेश गौतम ने एक बार फिर अपने बेबाक अंदाज से सुर्खियां बटोरीं। इस मौके पर उन्होंने “आस्तीन में छिपे गद्दारों” पर जमकर निशाना साधा और छिपकर वार करने वालों को खुली चुनौती दी। उनके इस तीखे बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया।
“अगर मर्द हो तो सामने से आकर वार करो”
मेयर उमेश गौतम ने अपने संबोधन में बिना किसी लाग-लपेट के कहा, “अगर मर्द हो तो सामने से आकर वार करो। छिपकर वार करने वालों को मैं सबक सिखाऊंगा।” यह बयान न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वे अपनी राह में आने वाली चुनौतियों से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा, “दोस्तों, अपने ही गद्दार होते हैं, दूसरे की जरूरत नहीं। जो मर्दानगी दिखाना चाहता है, सामने आकर दिखाए।” यह कथन उनके उन विरोधियों के लिए था, जिन्हें वे अपने खिलाफ साजिश रचने का दोषी मानते हैं।
“आस्तीन में छिपे गद्दार” – क्या था इशारा?
उमेश गौतम के इस बयान ने कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर वे “आस्तीन में छिपे गद्दार” कहकर किसे निशाना बना रहे थे? क्या यह उनकी पार्टी के अंदरूनी मतभेदों की ओर इशारा है या फिर बाहरी विरोधियों पर हमला? मेयर ने भले ही किसी का नाम स्पष्ट नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों में छिपी तल्खी ने साफ कर दिया कि वे किसी बड़े राजनीतिक खेल को भांप चुके हैं। बरेली की सियासत में पहले भी गौतम के बयानों ने विवादों को जन्म दिया है, और इस बार भी उनका यह अंदाज चर्चा में है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और संदर्भ
बरेली के मेयर के रूप में उमेश गौतम का कार्यकाल कई उपलब्धियों और विवादों से भरा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इस नेता ने शहर के विकास के लिए कई योजनाएं लागू कीं, लेकिन साथ ही उनके कुछ बयानों और कार्यशैली ने उन्हें आलोचनाओं के घेरे में भी ला खड़ा किया। कैंट विधानसभा सम्मेलन में दिया गया उनका यह बयान उस समय आया, जब शहर में लोकसभा और स्थानीय निकायों के बीच राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। ऐसे में, उनके इस बयान को कुछ लोग पार्टी के अंदरूनी कलह से जोड़कर देख रहे हैं, तो कुछ इसे उनके नेतृत्व को और मजबूत करने की रणनीति मान रहे हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
मेयर के इस बयान ने सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों तक चर्चा को जन्म दिया है। कुछ लोग उनके इस साहसिक रुख की सराहना कर रहे हैं, तो कुछ इसे अनावश्यक रूप से उत्तेजक बता रहे हैं। एक स्थानीय निवासी, रमेश कुमार ने कहा, “मेयर साहब का यह अंदाज हमें पसंद है। वे खुलकर बोलते हैं और किसी से डरते नहीं। लेकिन उन्हें यह भी देखना चाहिए कि ऐसे बयान कहीं पार्टी की एकता को नुकसान न पहुंचाएं।” वहीं, एक अन्य नागरिक, शबाना खान ने कहा, “राजनीति में इस तरह की बयानबाजी से सिर्फ विवाद बढ़ता है। मेयर को अपने काम पर फोकस करना चाहिए।”
क्या है आगे की राह?
उमेश गौतम का यह बयान निश्चित रूप से बरेली की सियासत में एक नया मोड़ लाएगा। क्या वे अपने “गद्दारों” को सबक सिखाने में कामयाब होंगे, या यह बयान उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगा? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि गौतम का यह बयान उनके विरोधियों को चुप रहने नहीं देगा।
बरेली के मेयर उमेश गौतम ने कैंट विधानसभा सम्मेलन में अपने तीखे बयान से एक बार फिर साबित कर दिया कि वे राजनीति के मैदान में किसी से कम नहीं हैं। “आस्तीन में छिपे गद्दारों” पर उनका यह हमला न केवल उनके दृढ़ निश्चय को दर्शाता है, बल्कि बरेली की सियासत में आने वाले दिनों के लिए एक नई कहानी भी लिख सकता है। अब देखना यह है कि इस बयान का असर उनके राजनीतिक करियर और शहर की राजनीति पर क्या पड़ता है।