बाराबंकी, 4 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय (एसआरएमयू) में बिना मान्यता के विधि (एलएलबी) पाठ्यक्रम चलाए जाने के आरोपों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं और छात्रों का विरोध प्रदर्शन सोमवार को हिंसक हो गया। पुलिस कार्रवाई में 25 से अधिक लोग घायल होने के बाद मामला तूल पकड़ लिया, जिसके चलते बुधवार देर रात पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की। खास बात यह है कि एफआईआर में किसी व्यक्ति का नाम उल्लेखित नहीं किया गया है, बल्कि मुकदमा केवल संस्था के नाम पर दर्ज हुआ है।
मुख्य सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, यह एफआईआर उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अपर सचिव दिनेश कुमार की शिकायत पर नगर कोतवाली में दर्ज की गई। इसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 318(4), 338, 336(3) और 340(2) के तहत विश्वविद्यालय प्रबंधन पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया गया है। शिकायत में कहा गया है कि 2023-24 और 2024-25 सत्रों में बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की मान्यता के छात्रों का दाखिला लिया गया और परीक्षाएं भी कराई गईं, जबकि 2025-26 सत्र के लिए पंजीकरण अभी भी जारी है। उच्च शिक्षा परिषद ने इसे निजी विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करार दिया।
घटना की शुरुआत सोमवार को हुई जब एबीवीपी कार्यकर्ता और एलएलबी छात्र विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन करने पहुंचे। उनका मुख्य आरोप था कि 2022 से बीसीआई ने कोर्स की मान्यता रद्द कर दी थी, फिर भी प्रबंधन अवैध वसूली कर दाखिले ले रहा है। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस बुला ली। मौके पर पहुंची पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें लाठीचार्ज के आरोप लगे। वीडियो फुटेज में साफ दिखा कि पुलिस ने छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, जिससे 24 से अधिक लोग घायल हो गए। इनमें एबीवीपी के प्रांत सहमंत्री अभिषेक बाजपेयी, जिला संयोजक अनुराग मिश्रा सहित कई पदाधिकारी शामिल थे। घायलों को मेयो अस्पताल और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि कुछ को लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया।
एबीवीपी अवध प्रदेश सचिव पुष्पेंद्र बाजपेयी ने बताया, “विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। 2022 से धोखा दे रहे हैं, अवैध फीस वसूल रहे हैं और अब मान्यता का झूठा दावा कर रहे हैं। हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने बर्बरता की।” उन्होंने कहा कि संगठन तब तक आंदोलन जारी रखेगा जब तक कुलपति छात्रों से सीधे बात न करें, निष्कासित छात्रों को बहाल न किया जाए और कोर्स की मान्यता पर स्पष्टता न आए। सोमवार रात को एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने डीएम शशांक त्रिपाठी के आवास पर पुतला दहन किया और एसपी कार्यालय का घेराव किया। मंगलवार को लखनऊ में विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन हुआ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। सीओ सिटी हर्षित चौहान को हटा दिया गया, जबकि गदिया चौकी प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। जांच आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को सौंपी गई, जबकि अयोध्या मंडलायुक्त गौरव दयाल को कोर्स की वैधता की जांच का जिम्मा दिया गया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पुलिस कार्रवाई को “बर्बर” बताते हुए चेतावनी दी, जबकि खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश शर्मा घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे।
विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार प्रो. नीरजा जिंदल ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “2022-23 सत्र के लिए बीसीआई मान्यता प्राप्त है और 2027 तक संबद्धता शुल्क जमा है। कुछ लोग छात्रों में भ्रम फैला रहे हैं। प्रदर्शन बिना पूर्व सूचना के हुआ, जिसमें स्थानीय लोगों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई।” दिलचस्प बात यह है कि एफआईआर दर्ज होने के ठीक बाद बीसीआई ने कोर्स को औपचारिक मान्यता दे दी, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मंजूरी विवाद के दबाव में आई।
सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों का कहना है कि एफआईआर में व्यक्ति विशेष का नाम न होने से जांच प्रभावित हो सकती है, जो प्रबंधन की “सेटिंग” को दर्शाता है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की, जबकि एबीवीपी ने राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया। जिला प्रशासन ने परिसर में सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं, लेकिन तनाव बरकरार है। आगे की जांच से सच्चाई सामने आएगी।