N/A
Total Visitor
36.4 C
Delhi
Sunday, June 22, 2025

तोतापुरी आमों पर बैन, कर्नाटक-आंध्र में ठनी! सिद्धारमैया की नायडू से अपील: ‘रोक हटाओ, किसानों को बचाओ’

नई दिल्ली, 12 जून 2025, गुरुवार। दक्षिण भारत के दो पड़ोसी राज्यों, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश, के बीच फलों के राजा ‘तोतापुरी’ आम को लेकर तनातनी छिड़ गई है! कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से भावुक अपील की है कि चित्तूर जिले में कर्नाटक के तोतापुरी आमों की एंट्री पर लगी रोक को तुरंत हटाया जाए। यह विवाद न सिर्फ किसानों की आजीविका को खतरे में डाल रहा है, बल्कि दोनों राज्यों के बीच तनाव का नया सबब भी बनता जा रहा है।

एकतरफा रोक से सहकारी संघवाद पर सवाल

सिद्धारमैया ने नायडू को लिखे एक पत्र में इस मसले पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बिना किसी पूर्व चर्चा या समन्वय के चित्तूर प्रशासन द्वारा 7 जून को लगाया गया यह प्रतिबंध सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है। सीएम ने आशंका जताई कि यह कदम दोनों राज्यों के बीच अनावश्यक तकरार और जवाबी कार्रवाइयों को जन्म दे सकता है। इससे न केवल आम, बल्कि सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की अंतर-राज्यीय आवाजाही भी प्रभावित हो सकती है।

किसानों का हंगामा, बंद तक हुआ

कर्नाटक के कोलार जिले के श्रीनिवासपुरा, जो तोतापुरी आमों का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है, वहां किसान सड़कों पर उतर आए हैं। हाल ही में उन्होंने इस प्रतिबंध के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और तालुक स्तर पर बंद का आह्वान किया। किसानों की मांग है कि आंध्र प्रदेश की रोक हटे और उनकी फसल के लिए समर्थन मूल्य सुनिश्चित हो। इससे पहले, कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश ने भी 10 जून को आंध्र के मुख्य सचिव के. विजयानंद को पत्र लिखकर इस मसले को सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

चित्तूर में चेकपोस्ट, किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

सिद्धारमैया ने अपने पत्र में बताया कि चित्तूर के जिला कलेक्टर के आदेश पर कर्नाटक और तमिलनाडु से सटे अंतर-राज्यीय चेकपोस्ट्स पर राजस्व, पुलिस, वन और विपणन विभागों की टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें तोतापुरी आमों की आवाजाही को रोक रही हैं, जिससे कर्नाटक के किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। सीमावर्ती इलाकों के किसान लंबे समय से चित्तूर की प्रोसेसिंग और पल्प निष्कर्षण इकाइयों पर अपनी फसल बेचने के लिए निर्भर हैं। इस रोक ने उनकी इस सुचारु आपूर्ति श्रृंखला को तहस-नहस कर दिया है।

“किसानों की आजीविका दांव पर”

सिद्धारमैया ने नायडू से कहा, “यह प्रतिबंध न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहा है, बल्कि उनकी आजीविका को भी संकट में डाल रहा है। फसल कटाई के बाद भारी नुकसान की आशंका है, जो हजारों परिवारों को प्रभावित करेगी।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस कदम से दोनों राज्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है और अन्य कृषि उत्पादों की आवाजाही भी बाधित हो सकती है।

नायडू से त्वरित हस्तक्षेप की मांग

सिद्धारमैया ने नायडू से इस मसले में तुरंत दखल देने की गुहार लगाई है। उन्होंने अनुरोध किया कि चित्तूर प्रशासन को यह आदेश वापस लेने के निर्देश दिए जाएं, ताकि किसानों की फसल निर्बाध रूप से बाजार तक पहुंच सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि नायडू इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और दोनों राज्यों के हित में त्वरित कदम उठाएंगे।

क्या सुलझेगा आम का यह अनोखा विवाद?

यह आम का विवाद अब केवल फल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह दोनों राज्यों के रिश्तों और किसानों के भविष्य का सवाल बन गया है। अब सबकी निगाहें चंद्रबाबू नायडू पर टिकी हैं कि क्या वे इस ‘रसीले’ मसले का हल निकाल पाएंगे, या यह तनाव और गहरा होगा।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »