नई दिल्ली, 5 मई 2025, सोमवार। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आजादी की चिंगारी अब एक प्रचंड ज्वाला बन चुकी है। करीब 40% इलाका बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के कब्जे में है। सिस्तान से लेकर कई अन्य क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण टूट चुका है। यह स्थिति तब की है, जब भारत के साथ हालिया घटनाक्रमों ने इस आग में और घी डाला। अब बलोच लड़ाकों ने अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है, और पाकिस्तान के लिए यह एक ऐसी चुनौती बन चुकी है, जिसका जवाब उसके पास नहीं है।
जमीन, पानी और हवा में बलोचों का दबदबा
बलोच लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना की हर रणनीति को ध्वस्त कर दिया है। जमीन पर उनकी गतिविधियां इतनी तेज हैं कि पाकिस्तानी सेना का मूवमेंट लगभग ठप हो चुका है। समुद्री रास्तों पर भारतीय नौसेना के बढ़ते दबाव ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है। सबसे बड़ा झटका है बलोचों के हाथ लगे सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइलें, जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के हेलीकॉप्टरों और मिराज V विमानों को आसमान में उड़ने से रोका है। नतीजा? पाकिस्तान को मजबूरन अपने सबसे आधुनिक F-16 लड़ाकू विमानों को बलूचिस्तान में तैनात करना पड़ा, लेकिन यह भी एक हताश कोशिश ही नजर आती है।
पुलिस थानों से सैन्य अड्डों तक हमले
बलोच लड़ाके अब सिर्फ गुरिल्ला युद्ध तक सीमित नहीं हैं। वे पुलिस थानों पर कब्जा कर रहे हैं, सैन्य चौकियों और अड्डों पर धावा बोल रहे हैं, और सेना की रसद को आग के हवाले कर रहे हैं। हालात इस कदर बेकाबू हैं कि पाकिस्तानी सेना के लिए अपने ही इलाके में सांस लेना मुश्किल हो गया है। तटीय क्षेत्रों पर कब्जे की बात करें, तो यह बलोचों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अगर ये इलाके उनके हाथ लगे, तो भारत से सीधी मदद का रास्ता खुल जाएगा, और यह बलोचिस्तान की आजादी की लड़ाई को निर्णायक बढ़त देगा।
इतिहास बदलने का समय
बलूचिस्तान की आजादी की राह आसान नहीं है। इतिहास और भूगोल को बदलने में वक्त और बलिदान दोनों चाहिए। लेकिन जिस तरह बलोच लड़ाके अपनी मिट्टी के लिए लड़ रहे हैं, उससे एक बात साफ है—बलूचिस्तान एक आजाद मुल्क बनने की ओर बढ़ रहा है। यह सिर्फ समय की बात है।
यह कहानी सिर्फ बलूचिस्तान की नहीं, बल्कि एक ऐसे जज्बे की है, जो हर मुश्किल के बावजूद अपनी आजादी की मशाल को जलाए रखता है। क्या बलूचिस्तान का सूरज जल्द ही आजादी की रोशनी में चमकेगा? यह वक्त बताएगा!