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Friday, March 29, 2024

बाइडेन सरकार के लिए बड़ी चुनौती, अमेरिका की आर्थिक स्थिति बिगड़ी

श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों के साथ-साथ दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में भी आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच आलम ये है कि अमेरिका दिवालिया होने की कगार पर आ चुका है। कई कंपनियों ने अपने यहां छंटनी तेज कर दी है। हर स्तर पर खर्च की कटौती चल रही है। आइए जानते हैं कि अमेरिका की ये हालत कैसे हुई? दुनिया के इस सबसे ताकतवर देश पर कर्ज का कितना बोझ है? कैसे बाइडेन सरकार इससे निपटने की कोशिश में जुटी है? आइए समझते हैं…

पहले जानिए अमेरिका पर कितना और कैसे बढ़ा कर्ज?
अमेरिका पर अभी कुल कर्ज 31.46 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 26 हजार लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। ये कर्ज अचानक से नहीं बढ़ा, बल्कि साल दर साल इसमें इजाफा हुआ है। 2001 के आंकड़ों पर नजर डालें तक देश पर 479 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। 2008 में ये बढ़कर 826 लाख करोड़ रुपये हो गया।

2017 तक कर्ज में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसकी रकम बढ़कर 1670 लाख करोड़ पहुंच गई। उस वक्त बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे। इसके बाद जब डोनाल्ड ट्रम्प कर शासन आया तो 2020 तब ये कर्ज बढ़कर 2224 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। अब ये 31.46 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।

आंकड़ों को देखें तो अभी अमेरिका के हर नागरिक पर करीब 94 हजार डॉलर का कर्ज है। इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए अमेरिका हर रोज 1.3 अरब डॉलर खर्च करता है। आर्थिक मामलों के जानकार और दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक्स ग्रोथ के रिसर्च एनालिस्ट सुमित कहते हैं कि अमेरिका पर 2019 से 2021 तक कर्ज बढ़ने की कई वजह हैं। विकसित देश रेवेन्यू कमाने के लिए कर्ज बाजार में पैसा लगाते हैं। साथ ही सरकार पर बेरोजगारी बढ़ने, ब्याज दर में कटौती जैसे कारणों से भी कर्ज बढ़ते हैं। ब्याज दर में कटौती से अमेरिका में महंगाई बढ़ी। सरकार ने खर्च पर रोक न लगाकर कर्ज लेकर उसकी भरपाई की। कॉरपोरेट टैक्स 2019 में 35% से घटाकर 21% कर दिया गया।

साथ ही दुनिया में ताकतवर कहलाने के लिए भी अमेरिका ने पिछले कुछ दशक में काफी पैसा खर्चा किया है। फिलहाल, अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन को करोड़ों की मदद दे चुका है। चीन से निपटने के लिए ताइवान के लिए भी खूब खर्च किया है। इसके चलते अमेरिका का खर्च के साथ-साथ कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ता गया।

अमेरिका के भारी भरकम कर्ज का आंकड़ा आसान शब्दों में समझें तो अभी भारत की कुल जीडीपी जितनी है, उसका 10 गुना ज्यादा अमेरिका पर कर्ज है। भारत ही नहीं, चीन, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे बड़े देशों की कुल जीडीपी से भी ज्यादा कर्ज अमेरिका पर है।

तो क्या दिवालिया हो जाएगा अमेरिका?
सुमित कहते हैं, ‘कल तक ऐसी उम्मीद थी कि अमेरिका पांच जून तक दिवालिया हो जाएगा। हालांकि, आज की स्थिति अलग है। अभी कर्ज लेने की सीमा यानी डेट सीलींग दो साल के लिए बढ़ा दी गई है। ऐसे में फिलहाल दिवालिया होने का खतरा टल गया है। खासतौर पर अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक स्थिति सामान्य रह सकती है।’

सुमित ने कहा, ‘अमेरिका को अब इस समय सीमा के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना होगा। सरकारी खर्चों में कटौती करनी होगी।’ सुमित के अनुसार, ‘अमेरिका में फिलहाल कर्ज की सीमा 31.4 ट्रिलियन डॉलर है। डील फाइनल होने के बाद बुधवार को अमेरिकी संसद में इस पर वोटिंग होगी।’

देश चलाने के लिए अभी अमेरिका को कितने कर्ज की जरूरत?
सुमित के अनुसार, ‘अमेरिका में सरकार के कर्ज की एक सीमा तय होती है। मतलब जितनी रकम तय होगी, सरकार उससे ज्यादा का कर्ज नहीं ले सकती है। इस तिमाही में अमेरिका ने 726 बिलियन डॉलर की राशि उधार लेने का लक्ष्य रखा है। यह जनवरी में पेश किए गए अनुमान से 449 बिलियन डॉलर अधिक है।

सुमित बताते हैं कि जैसा की अभी कई देशों की स्थिति है, ठीक वही हालत अमेरिका की भी है। यहां भी सरकार की आमदनी कम है और खर्चा ज्यादा। यही कारण है कि देश चलाने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ता है। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट का आंकड़ा बताते हुए सुमित ने कहा, ‘मार्च 2023 में अमेरिका की सरकार का बजट घाटा 30 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। 2022 में अमेरिका की GDP पर 121% का कर्ज था। इससे समझा जा सकता है कि वहां की सरकार अपने खर्चों के लिए किस हद तक कर्ज पर निर्भर करती है।’

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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