गोरखपुर से राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य चेतना की हुंकार
– प्रणय विक्रम सिंह
जब कोई सरकार ‘स्वास्थ्य’ को केवल चिकित्सा न मानकर ‘संस्कृति’ का आयाम बना देती है, तब वह शासन नहीं, साधना करती है। और जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसा नेतृत्व आयुष पद्धति को जनपद-जनपद तक पहुंचाने का संकल्प ले, तो वह संकल्प नहीं, सांस्कृतिक पुनरुद्धार की ऋचाएं होती हैं।
गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो घोषणा की है, जहां आयुष का कोई महाविद्यालय नहीं, उन मंडलों में एक-एक आयुष कॉलेज की स्थापना होगी। हर जनपद में कम से कम 100 बिस्तरों वाला ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ स्थापित होगा…यह केवल एक नीति वक्तव्य नहीं है, बल्कि भारत की चिकित्सा-दृष्टि को उसके वैदिक, प्राकृतिक और जन-केंद्रित स्वरूप में पुनर्स्थापित करने की निर्णायक पहल है।
यह योजना न केवल ‘नए भारत’ की स्वास्थ्य संरचना का खाका प्रस्तुत करती है, अपितु ‘प्राचीन भारत’ की औषधि परंपरा को वैज्ञानिक और संस्थागत रूप में पुनः प्रतिष्ठित करने का कार्य भी करती है।
इस योजना में ‘हेल्थ’ केवल रोग का अभाव नहीं, आरोग्य, प्राणबल और मानसिक शांति का समवेत स्वरूप है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अब केवल इलाज के नहीं, जीवनशैली सुधार और रोग-निवारण के केंद्र होंगे।
यद्यपि भारत की मूल चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी आदि रही हैं, किंतु स्वतंत्रता के पश्चात इन्हें हाशिए पर डाल दिया गया। मुख्यमंत्री योगी का यह ऐलान एक संवेदनशील सांस्कृतिक हस्तक्षेप है, जिसमें आधुनिकता को नकारे बिना, परंपरा को प्रतिष्ठा दी जा रही है।
जहां अब तक आयुष महाविद्यालयों की भौगोलिक असमानता रही है, अब हर मंडल में संस्थान स्थापित कर क्षेत्रीय समानता सुनिश्चित की जा रही है। यह ‘सप्लाई-साइड इक्विटी’ का बेहतरीन उदाहरण है।
हर जिले में 100-बेड का आरोग्य केंद्र ग्रामीण भारत की नई उम्मीद है। ग्राम-जनपद स्तर पर यदि 100 बेड के साथ योग, आयुर्वेद और होम्योपैथिक सुविधा वाला सेंटर होगा, तो यह एम्स जैसे संस्थानों की भीड़ को कम करेगा और प्राथमिक स्तर पर रोग-निवारण को प्रभावी बनाएगा।
इन संस्थानों के माध्यम से औषधीय पौधों की खेती, आयुष शिक्षकों की नियुक्ति, पंचकर्म विशेषज्ञों की मांग और योग प्रशिक्षकों के लिए अवसर बढ़ेंगे।यह एक रोजगार-सृजन और शोध-संचालित स्वास्थ्य क्रांति का आरंभ है।
गोरखधाम से आरंभ होती ‘आरोग्य क्रांति’
यह संयोग नहीं, संकल्प है कि इस घोषणा की ध्वनि गोरखपुर से उठी है, जहां गोरक्षनाथ परंपरा योग और आयुर्वेद की हजारों वर्ष पुरानी धारा की संवाहक रही है। यही गोरखपुर, अब ‘आरोग्यधाम’ और ‘ज्ञानधाम’ बनने की ओर अग्रसर है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह घोषणा केवल योजना नहीं, वेदों की वाणी में संचित ‘स्वास्थ्य दर्शन’ का शासन में अवतरण है। यह वह व्यवस्था है, जहां ‘चिकित्सा केवल दवा नहीं, जीवनशैली है। अस्पताल केवल उपचार नहीं, संस्कार का स्थान है।’
यह योजना हमें एलोपैथिक निर्भरता से विमुक्त कर एक संतुलित, भारत-केंद्रित, लोक-कल्याणकारी चिकित्सा व्यवस्था की ओर ले जाएगी।
यह महज घोषणा नहीं, भारत की स्वास्थ्य स्वराज्य यात्रा का घोष है! यह परिवर्तन नहीं, परंपरा का पुनर्जागरण है! यह योगी नीति की वह संकल्प-रेखा है, जो जनस्वास्थ्य को जन-आस्था से जोड़ती है!