नई दिल्ली, 6 मार्च 2025, गुरुवार। लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की कार को रोकने का प्रयास करने वाले खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों की भारत ने निंदा की है। यह घटना तब हुई जब विदेश मंत्री थिंक टैंक ‘चैथम हाउस’ के मुख्यालय से बाहर निकल रहे थे। प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए और सुरक्षा घेरा तोड़ने का प्रयास किया। भारत ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि यह अलगाववादियों और चरमपंथियों के एक छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों का हिस्सा है।
अलगाववादियों के झंडे लहरा रहे समूह को रोकने के लिए बुधवार रात को अवरोधक लगाए गए थे और बड़ी संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों की उन पर नजर थी। तभी भारत का झंडा पकड़े एक व्यक्ति ने अवरोधकों को पार करके मंत्री की कार का रास्ता रोकने की कोशिश की और अधिकारी उसे पकड़ने के लिए दौड़े। मेट्रोपॉलिटन पुलिस अधिकारी उसे तुरंत एक तरफ ले गए। इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार किए जाने की सूचना नहीं है।
सामुदायिक संगठन ‘इनसाइट यूके’ ने इस घटना का फुटेज सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, यह शर्मनाक है कि यह हमला उस समय हुआ है जब डॉ. एस जयशंकर ब्रिटेन की यात्रा पर हैं और उन्होंने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के साथ सफल बैठक की जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई।
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक की घटना की निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने इस घटना के फुटेज देखे हैं और हम अलगाववादियों और चरमपंथियों की उकसावे वाली गतिविधियों की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसे तत्वों द्वारा लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग किए जाने की निंदा करते हैं और मेजबान सरकार से अपने कूटनीतिक दायित्वों का पालन करने की अपेक्षा करते हैं।
इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘चैथम हाउस’ में एक सत्र के दौरान भारत से संबंधित मानवाधिकार चिंताओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के मुद्दों पर कई अभियान और अभिव्यक्तियां राजनीतिक कारणों से भारत को निशाना बना रही हैं। जयशंकर ने स्वीकार किया कि भारत परिपूर्ण नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत का मानवाधिकार रिकॉर्ड मजबूत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक विश्वसनीय लोकतंत्र है, जहां लोगों का विश्वास बढ़ रहा है और सरकार अपने नागरिकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार कर रही है। इसलिए, जयशंकर का मानना है कि मानवाधिकारों पर व्यापक चिंता अनुचित है।