इसकी वजह यह है कि अगर वायल खोल दिया जाएगा तो वैक्सीन के नुकसान होने की आशंका 90 प्रतिशत है। इसी वजह से बच्चों के टीकाकरण की रफ्तार भी नहीं बढ़ पा रही है। इन सबके बीच नोवावैक्स वैक्सीन मिलने से विभाग को राहत मिलेगी। इस वैक्सीन के एक वायल में 10 डोज हैं। अच्छी बात यह है कि वैक्सीन 12 से 17 वर्ष के बच्चों और किशोरों दोनों को लगाई जा सकेगी।
देश में किया जा चुका है ट्र्रायल
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एएन प्रसाद ने बताया कि कोर्बेवैक्स से पहले देश में 12 साल से ऊपर के बच्चों और किशोरों के लिए तीन वैक्सीन मौजूद है। मौजूदा समय में बायोलॉजिकल-ई की कोर्बेवैक्स, जायडस कैडिला की जायकोव-डी और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन मौजूद है। अब चौथे वैक्सीन के रूप में नोवावैक्स मिल गई है। इसका ट्रायल देश में किया जा चुका है, जिसके बेहतर परिणाम मिले हैं।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एएन प्रसाद ने कहा कि नोवावैक्स के रूप में एक वैक्सीन जिले को और मिल गई है। जल्द ही स्वास्थ्य विभाग को मिल जाएगी। इसके बाद 12 से 17 वर्ष के बच्चों और किशोरों को वैक्सीन के रूप में एक विकल्प मिल सकेगा। इससे टीकाकारण की रफ्तार भी बढ़ेगी।