वाराणसी, 4 जून 2025, बुधवार: वाराणसी, काशी की पावन धरती, जहां गंगा की लहरें और काल भैरव का आशीर्वाद हर चुनौती को स्वागत में बदल देता है, एक नया अध्याय शुरू हुआ। 2010 बैच के तेज-तर्रार IPS अधिकारी शिवहरि मीणा ने अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) के रूप में वाराणसी का कमान संभाला। जैसे ही उन्होंने पुलिस आयुक्त मुख्यालय में कदम रखा, उनकी पहली मुलाकात थी शहर की नब्ज से—हर जोन, हर थाना, हर सर्किल की बारीकियों को समझने की उत्सुकता उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।

शिवहरि मीणा का यह सफर किसी रोलर-कोस्टर से कम नहीं। बीते 24 दिनों में यह उनका तीसरा तबादला है! पहले नोएडा में अपर पुलिस आयुक्त के रूप में अपनी छाप छोड़ी, फिर लखनऊ में DIG तकनीकी सेवाओं की जिम्मेदारी संभाली, और अब काशी की गलियों में कानून का पहरेदार बनकर उतरे हैं।
काशी के आशीर्वाद से शुरू हुआ नया सफर
मंगलवार की शाम, जैसे ही शिवहरि लखनऊ से वाराणसी पहुंचे, उन्होंने सबसे पहले काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव और श्री काशी विश्वनाथ के चरणों में शीश झुकाया। मानो काशी की पवित्रता और शक्ति ने उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए ऊर्जा से भर दिया। इसके बाद, उन्होंने औपचारिक रूप से अपर पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभाला।
फील्ड का सिपाही: शिवहरि मीणा का अब तक का सफर
शिवहरि मीणा को फील्ड का सिपाही यूं ही नहीं कहा जाता। उनकी मेहनत, लगन और चुनौतियों से टकराने का जज्बा उन्हें अलग बनाता है। झांसी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रामपुर, कासगंज, रायबरेली, इटावा, मऊ, बस्ती, हापुड़ और महाराजगंज जैसे जिलों में SP के रूप में उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया है। हर तबादले के साथ उन्होंने नई चुनौतियों को गले लगाया और हर जगह अपनी छाप छोड़ी।
जड़ों से जुड़ा एक साधारण नायक
राजस्थान के दौसा जिले के छोटे से गांव गढ़ी मोजपुर में जन्मे शिवहरि की कहानी प्रेरणा से भरी है। उनके पिता चिमनलाल मीणा BSNL में अधीक्षक थे। गांव के सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद शिवहरि ने कोटा का रुख किया। वहां महात्मा गांधी स्कूल से हाईस्कूल पास किया, फिर कोटा गवर्नमेंट कॉलेज से बीए और 2002 में पॉलिटिकल साइंस में एमए की डिग्री हासिल की। UPSC की राह आसान नहीं थी, लेकिन चौथे प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल कर IPS बनकर अपने गांव का नाम रोशन किया।
काशी के लिए नया संकल्प
वाराणसी जैसे ऐतिहासिक और जीवंत शहर में शिवहरि मीणा का आगमन नई उम्मीदें लेकर आया है। उनकी तेज-तर्रार कार्यशैली और फील्ड का अनुभव काशी की कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने का वादा करता है। जैसे काशी विश्वनाथ की घंटियां नई शुरुआत की गूंज बिखेरती हैं, वैसे ही शिवहरि मीणा का यह नया अध्याय वाराणसी के लिए एक सुनहरा पन्ना लिखने को तैयार है।