नई दिल्ली, 19 मई 2025, सोमवार। हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है। इस बार मामला प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी से जुड़ा है, जिन्हें 18 मई 2025 को दिल्ली से हिरासत में लिया गया। अली खान पर भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसमें शामिल महिला सैन्य अधिकारियों, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। यह घटना यूनिवर्सिटी के कथित वामपंथी और वोक माहौल को लेकर चल रही बहस को और हवा दे रही है। साथ ही, अली खान के परिवार के इतिहास और मोहम्मद अली जिन्ना से कथित रिश्तों ने भी चर्चा को तेज किया है।
ऑपरेशन सिंदूर और गिरफ्तारी का मामला
7 मई 2025 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की। इसकी जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रोफेसर अली खान ने सोशल मीडिया पर इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को ‘दिखावा’ करार देते हुए कर्नल सोफिया पर सांप्रदायिक टिप्पणी की और दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों को ‘पागल फौजी’ कहा।
हरियाणा पुलिस ने बीजेपी युवा मोर्चा की शिकायत पर 18 मई 2025 को अली खान को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से गिरफ्तार किया। हरियाणा महिला आयोग ने उनकी टिप्पणियों को सेना का अपमान और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाला माना। आयोग के नोटिस का जवाब न देने पर पुलिस ने राजद्रोह सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया। अली खान ने बचाव में कहा कि उनकी बातों को गलत समझा गया और वह मुस्लिम समुदाय के सम्मान की बात कर रहे थे।
अली खान कौन हैं?
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाते हैं। 1982 में जन्मे खान ने लखनऊ, यूके और सीरिया में पढ़ाई की। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास और राजनीति विज्ञान में एमफिल और पीएचडी की। वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। उनकी पारिवारिक संपत्ति 30-50 हजार करोड़ रुपये की बताई जाती है, जिसमें लखनऊ, उत्तराखंड और विदेशों में संपत्तियां शामिल हैं।
परिवार का जिन्ना और बंटवारे से रिश्ता
अली खान के दादा, राजा महमूदाबाद, मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता और जिन्ना के करीबी थे। उन्होंने लीग को आर्थिक और संगठनात्मक समर्थन दिया। 1947 में बंटवारे के समय वह इराक में थे और बाद में पाकिस्तान की नागरिकता लेकर अपनी संपत्ति दान कर दी। भारत में उनकी संपत्तियां ‘शत्रु संपत्ति’ के तौर पर जब्त हुईं, लेकिन 1966 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कुछ संपत्तियां परिवार को मिलीं।
अली खान के पिता, मुहम्मद अमीर मुहम्मद खान, भारत में रहे और 1985 व 1989 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। उन्होंने संपत्ति वापसी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी, जो अभी भी कोर्ट में है। अली खान ने समाजवादी पार्टी जॉइन की और उनकी टिप्पणियां अब पार्टी के लिए भी चुनौती बन सकती हैं।
अशोका यूनिवर्सिटी और वामपंथी-वोक का आरोप
2014 में स्थापित अशोका यूनिवर्सिटी अपनी लिबरल आर्ट्स शिक्षा के लिए जानी जाती है, लेकिन इसे अक्सर वामपंथी और वोक विचारधारा का केंद्र कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में कई विवादों ने इसकी छवि को प्रभावित किया है:
हिंदू विरोधी नारे: मार्च 2024 में छात्रों ने ‘ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाए, जिसे हिंदू विरोधी माना गया।
प्रो-फिलिस्तीन प्रदर्शन: मई 2024 में दीक्षांत समारोह में छात्रों ने ‘फ्री फिलिस्तीन’ के प्लेकार्ड दिखाए और इजराइल विरोधी बयान दिए।
ईवीएम विवाद: प्रोफेसर सब्यसाची दास ने 2019 के चुनावों में ईवीएम हेराफेरी का दावा किया, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
नेताजी तस्वीर विवाद: प्रोफेसर नीलांजन सरकार ने नेताजी की तस्वीर को लेकर गलत दावा किया।
संस्थापकों पर धोखाधड़ी का आरोप: यूनिवर्सिटी के संस्थापक विनीत और प्रणव गुप्ता पर 1,626 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है।
यूनिवर्सिटी का रुख
अशोका यूनिवर्सिटी ने अली खान के बयानों से खुद को अलग कर लिया और कहा कि वह सेना का सम्मान करती है। हालांकि, बार-बार विवादों के बावजूद सख्त कार्रवाई न करने पर प्रशासन की आलोचना हो रही है। अली खान की गिरफ्तारी और अशोका यूनिवर्सिटी के विवादों ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह यूनिवर्सिटी वामपंथी और वोक विचारधारा का गढ़ बन चुकी है, या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा दे रही है? इन सवालों का जवाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को देना होगा, ताकि इसका शैक्षणिक सम्मान बना रहे।