ऑपरेशन सिंदूर: भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
नई दिल्ली, 7 मई 2025, बुधवार। भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ता और ताकत का परिचय दिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर दुनिया को साफ संदेश दे दिया है—भारत अपनी सुरक्षा और शांति के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय ने इस ऑपरेशन पर प्रेस ब्रीफिंग में देश को विस्तार से जानकारी दी, जिसमें न केवल इस कार्रवाई की जरूरत और इसके निष्पादन का खुलासा किया गया, बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले रवैये को भी बेनकाब किया गया।
पहलगाम हमले ने खोली पाकिस्तान की साजिश
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने पर्यटकों पर क्रूर हमला किया, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई। विदेश सचिव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि आतंकियों ने परिवारों के सामने उनके प्रियजनों को गोली मारी, ताकि दहशत और सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा सके। इस हमले का मकसद जम्मू-कश्मीर में बहाल हो रही शांति और सामान्य स्थिति को भंग करना था। लेकिन भारत की एकजुट जनता और सरकार ने इस साजिश को नाकाम कर दिया।
जांच में साफ हुआ कि इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े थे। विदेश सचिव ने कहा, “पाकिस्तान आतंकियों का सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। पहलगाम हमले की रूपरेखा पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक इतिहास से पूरी तरह मेल खाती है।” हैरानी की बात यह है कि हमले के 15 दिन बाद भी पाकिस्तान ने कोई जवाबदेही नहीं दिखाई, जिसने भारत को निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
ऑपरेशन सिंदूर: सटीक और साहसिक कार्रवाई
भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बुधवार तड़के पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि यह ऑपरेशन महज 25 मिनट (रात 1:05 से 1:30 बजे तक) में पूरा किया गया। इस दौरान नौ आतंकी शिविरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे खूंखार संगठनों के ठिकाने शामिल थे। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और मरकज सुभान अल्लाह जैसे आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों को मिट्टी में मिला दिया गया।
खास बात यह रही कि यह कार्रवाई बेहद नपी-तुली और खुफिया जानकारी पर आधारित थी। भारतीय सेना ने किसी भी सैन्य या नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया। कर्नल कुरैशी ने साफ कहा, “हमारा उद्देश्य आतंकवाद के ढांचे को खत्म करना था, न कि उकसावे की कार्रवाई करना। अब तक पाकिस्तान से किसी नागरिक क्षति की कोई खबर नहीं है।” इस ऑपरेशन में 70 से ज्यादा आतंकी मारे गए, जिनमें कई आतंकी हैंडलर भी शामिल थे।
पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में जवाब
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अपनी बौखलाहट में सीमा पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें तीन लोगों की जान गई और कई घायल हुए। लेकिन भारतीय सेना ने इसका भी मुंहतोड़ जवाब दिया, जिसमें कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और घायल हुए। यह कार्रवाई न केवल पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रयास थी, बल्कि भविष्य में होने वाले संभावित हमलों को रोकने का भी एक मजबूत कदम था।
विदेश सचिव ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की दोहरी चाल का भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के बयान में टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) के जिक्र को हटाने के लिए पाकिस्तान ने दबाव बनाया था, जो उसकी आतंकवादियों के साथ साठगांठ को दर्शाता है।
भारत का संदेश: शांति, लेकिन सतर्कता के साथ
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। कर्नल कुरैशी ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर पाकिस्तान भविष्य में कोई हिमाकत करता है, तो भारतीय सेना इसका और भी जोरदार जवाब देगी। हम पूरी तरह तैयार हैं।”
यह ऑपरेशन न केवल भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक सूझबूझ का प्रतीक है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति का भी प्रमाण है। ऑपरेशन सिंदूर ने न सिर्फ आतंकियों के मनसूबों को ध्वस्त किया, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि भारत अपनी एकता और अखंडता की रक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार है।