वाराणसी, 18 जुलाई 2025: अवैध हथियारों के काले कारोबार पर वाराणसी STF ने सेना की खुफिया इकाई के साथ मिलकर करारा प्रहार किया है। गुरुवार को लालपुर थाना क्षेत्र के बावन बीघा रिंग रोड अंडरपास पर चली इस सनसनीखेज कार्रवाई में दो कुख्यात तस्करों को धर दबोचा गया। पकड़े गए तस्करों के पास से चार पिस्टल, सात मैगजीन, तीन मोबाइल फोन और एक कार बरामद की गई है।
पकड़े गए तस्करों की पहचान
- भोला साव: बिहार के मुंगेर का निवासी, हथियारों की डिलीवरी का मुख्य सिपाही।
- समर बहादुर सिंह उर्फ मोनू: वाराणसी के चौबेपुर का रहने वाला, तस्करी का पुराना खिलाड़ी।
ऐसे फंसे जाल में
मिलिट्री इंटेलिजेंस को खबर मिली थी कि बिहार के मुंगेर से हथियारों की बड़ी खेप वाराणसी पहुंचने वाली है। STF इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह की अगुआई में गठित टीम ने संदिग्ध नंबरों को सर्विलांस पर लिया। सटीक ट्रैकिंग के बाद रिंग रोड पर तस्करों को घेर लिया गया। जैसे ही भोला ने समर को हथियार सौंपे, STF ने दोनों को रंगे हाथों दबोच लिया।
तस्करी का काला खेल
जांच में खुलासा हुआ कि समर बहादुर पहले ट्रेवल्स कार ड्राइवर था और यात्रियों के जरिए तस्करों के संपर्क में आया। 2023 में चंदौली में हथियारों के साथ पकड़ा गया, जेल गया, लेकिन छूटते ही फिर तस्करी में कूद पड़ा। वह मुंगेर के कुख्यात तस्कर गोविन्द साव से 15,000 रुपये में पिस्टल खरीदता और उसे पूर्वांचल व बिहार के सीमाई इलाकों में 40,000 से 50,000 रुपये में बेचता। डिलीवरी करने वालों को हर चक्कर के लिए 3,000 रुपये की मोटी रकम मिलती थी।
भोला साव की भूमिका
भोला साव गोविन्द साव का भरोसेमंद सिपहसालार था, जो हथियारों की डिलीवरी के लिए वाराणसी पहुंचा था। लेकिन सेना और STF की पैनी नजर से वह बच नहीं सका।
STF की चेतावनी
STF ने साफ कर दिया है कि अवैध हथियारों का नेटवर्क चलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह कार्रवाई पूर्वांचल में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। STF इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया, “हथियारों का यह काला खेल अब नहीं चलेगा। हमारी टीमें हर पल नजर रख रही हैं।”