नई दिल्ली, 5 मई 2025, सोमवार। सोमवार की शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में एक हाई-प्रोफाइल बैठक ने सबका ध्यान खींचा, जहां देश के नए सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति पर चर्चा हुई। इस बैठक की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, और इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के साथ-साथ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी शामिल रहे।
यह बैठक इसलिए खास थी क्योंकि मौजूदा सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद का दो साल का कार्यकाल 25 मई, 2025 को समाप्त होने वाला है। प्रवीण सूद, जो 1986 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, ने मई 2023 में सीबीआई के प्रमुख का पद संभाला था। उससे पहले वे कर्नाटक के डीजीपी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे। अब, उनके कार्यकाल के समाप्त होने से पहले, नए निदेशक के चयन की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है।
सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (1946) के तहत होती है। साल 2013 में इस कानून में संशोधन के बाद यह तय किया गया कि सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश जरूरी होगी। इस समिति में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, बल्कि देश की इस महत्वपूर्ण जांच एजेंसी के नेतृत्व के लिए सर्वोत्तम उम्मीदवार के चयन को भी सुनिश्चित करती है।
सोमवार की इस बैठक में क्या फैसला हुआ, यह तो अभी सामने नहीं आया है, लेकिन इतना तय है कि देश की नजरें इस नियुक्ति पर टिकी हैं। सीबीआई, जो भ्रष्टाचार और बड़े अपराधों की जांच में अहम भूमिका निभाती है, के नए निदेशक का चयन न केवल एजेंसी के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि देश की कानून-व्यवस्था की दिशा को भी तय करेगा।