ज्ञानवापी पर हिन्दू पक्ष को फिर झटका, अखिलेश-ओवैसी के हेट स्पीच पर आज आएगा आदेश
वाराणसी, 18 सितंबर। ज्ञानवापी के मामले में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक युघुल शंभु की अदालत से हिंदू पक्ष को एक बार फिर झटका लगा है। कोर्ट ने मंगलवार को ज्ञानवापी से सबंधित एक अन्य मामले में अमीन आख्या मांगा जाने की अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत की है। इससे पहले शुक्रवार को अदालत ने ज्ञानवापी से ही जुड़े एक मामले में तहखाने की मरम्मत कराने और नमाजियों को तहखाने के ऊपर जाने से रोकने की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका एक अन्य अदालत ने खारिज कर दी थी।
पिछले महीनों दाखिल अमीन जांच कर रिपोर्ट सौंपने की अर्जी पर सुनवाई हुई थी। अंजुमन की ओर से इस मामले की अर्जी का विरोध किया गया कहा गया की ज्ञानवापी सबंधित कई मुकदमे चल रहे है। यहा तक कमीशन की भी करवाई हो चुकी है। सर्वे भी हुई है। वादी उसी के सर्वे रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति निकल कर इस पत्रावली में दाखिल कर सकते है। इस मामले में अमीन रिपोर्ट की कोई आवश्यक नहीं है। अर्जी खारिज होने योग्य है। इसे पहले वादी ने कोर्ट में दलील दिया की इस मामले के सुनवाई के लिए ज्ञानवापी के आराजी नं.9130 का अमीन से जॉच कराकर आख्या उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया। कहा कि आराजी पर जो भी देवदान और वस्तुए पाई जाय उसकी रिपोर्ट दे और वादी के खर्चे पर फोटो ग्राफी कराकर कोर्ट में दाखिल करे। कोर्ट ने दोनो पक्ष के सुनने के बाद आदेश हेतु तिथि नियत की थी।
बता दें कि वादीगण आदि ने कोर्ट में वाद दाखिल कर कहा की गैर हिंदुओं के प्रवेश को वर्जित करने और ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के राग भोग व पूजा दर्शन एवं अन्य धार्मिक आयोजन करने की अनुमति देने की मांग की गई थी। पिछले पर महीनो अदालत में लार्ड अविमुक्तश्वर वाद में वादी हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्त व अजीत सिंह की तरफ से अधिवक्ता मंगला प्रसाद पाठक व अभिषेक पाठक ने आवेदन देकर ज्ञानवापी के आराजी नं.9130 का अमीन से सर्वे कराने का अनुरोध किया है।
अखिलेश और ओवैसी पर केस दर्ज कराने की निगरानी अर्जी पर नहीं आया आदेश
अपर जिला जज-नवम विनोद कुमार सिंह की अदालत में मंगलवार को ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाना में गंदगी व शिवलिंग की आकृति पर दिए गए बयान मामले में दाखिल निगरानी अर्जी पर आदेश नही आ पाई। अब संभवत बुधवार को आदेश आने की संभावना है। पिछले तिथि पर सभी पक्ष के पुनः बहस सुनने के बाद आदेश हेतु तिथि नियत की गई है। प्रकरण के अनुसार वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ निगरानी अर्जी दाखिल की है। जिसमें कहा है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित वुजूखाने में नमाजियों द्वारा गंदगी फैलाई जा रही है। सर्वे में सामने आई शिवलिंग की आकृति पर असुदद्दीन ओवैसी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कुछ नेताओं ने गलत बयानबाजी कर हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया। इसलिए अखिलेश, ओवैसी व अंजुमन इंतजामिया कमेटी के पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। इस अर्जी को लोअर कोर्ट ने खारिज कर दिया। वादी ने बाद में निगरानी अर्जी सत्र न्यायालय में दाखिल किया था। जिसपर सुनवाई के बाद आदेश हेतु सुरक्षित है। कोर्ट में आदेश आने की संभावना के देखते हुए वादी पक्ष के अधिवक्ता के अलावा विपक्षी पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की ओर से अधिवक्ता, अंजुमन की ओर से श्रीनाथ त्रिपाठी, आसिफ उमर, गुलाम गौस, ओवैसी की ओर से एतेश्याम आब्दी व शहनवाज परवेज आदि उपस्तिथि थे। शाम को इस मामले में आदेश बुधवार को सुनाने की निर्देश के बाद अधिवक्ता गण चले गए।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी द्वारा एएसआई सर्वे में मिले शिवलिंग जैसी आकृति पर आपत्तिजनक बयान दिया था। सपा अध्यक्ष ने ज्ञानवापी में मिली शिवलिंग जैसी आकृति को लेकर कहा था कि किसी पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख दिया जाए और एक झंडा लगा दिया जाए तो वो मंदिर बन जाता है। इसके अलावा अखिलेश ने अयोध्या मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी जाती है और सुबह भगवान प्रकट हो जाते हैं। इन दोनों बयानों को अर्जी में वाराणसी की जनता की भावनाओं को चोट पहुंचाने का आरोपी बताया गया है। वहीं, एआईएमआई नेता असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक बयान में तंज भरे लहजे में कथित शिवलिंग को फव्वारा बताते हुए वहां नमाज पढ़ने की इजाजत देने को कहा था।
जानें क्या है पूरा मामला?
आपके बता दें कि इस मामले में अखिलेश यादव और अदसुद्दीन ओवैसी व उनके भाई अकबरुद्दीन समेत पांच लोग आरोपी है। ज्ञानवापी परिसर में जिन एएसआई सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया था। जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता आ रहा है।
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