मुंबई, 6 अगस्त 2025: रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन फ्रॉड मामले में मंगलवार को उनसे 10 घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, अगले 7 से 10 दिन में अनिल अंबानी को फिर से जांच एजेंसी के सामने पेश होना पड़ सकता है। इस पूछताछ की वीडियोग्राफी भी की गई, जो मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सबूत के तौर पर अदालत में पेश की जा सकती है।
ईडी के सवालों में उलझे अंबानी
मंगलवार सुबह 11 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे अनिल अंबानी से शेल कंपनियों को दिए गए कथित लोन, राजनीतिक दलों को फंडिंग और सरकारी व निजी बैंकों के अधिकारियों को रिश्वत देने जैसे गंभीर सवाल पूछे गए। सूत्रों के अनुसार, अंबानी ने ज्यादातर सवालों के जवाब में दस्तावेज और तथ्य जुटाने के लिए 7-10 दिन का समय मांगा। उन्होंने दावा किया कि वित्तीय फैसले उनकी कंपनी के आंतरिक बोर्ड ने लिए थे, और वे केवल दस्तखत करते थे, जिससे उन्होंने धोखाधड़ी के आरोपों से खुद को अलग करने की कोशिश की।
लुकआउट सर्कुलर ने बढ़ाई सख्ती
इससे पहले, ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया था, ताकि वे देश छोड़कर न जा सकें। यह कदम यस बैंक से जुड़े कथित लोन फ्रॉड की जांच के तहत उठाया गया। एलओसी के जरिए सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर आव्रजन अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है।
क्या है मामला?
ईडी की जांच रिलायंस ग्रुप की कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन के दुरुपयोग से जुड़ी है। इसमें 2017-2019 के बीच यस बैंक द्वारा दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन को शेल कंपनियों में डायवर्ट करने का आरोप है। इसके अलावा, सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) पर सीएलई नामक कंपनी के जरिए अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में धन के हेरफेर का भी आरोप है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
हाल ही में, ईडी ने ओडिशा की एक कंपनी के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को अनिल अंबानी समूह की कंपनी के लिए 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही रिलायंस समूह के कुछ अन्य अधिकारियों को भी इस सप्ताह पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
आगे क्या?
सूत्रों का कहना है कि ईडी अब अनिल अंबानी के बैंकिंग विवरण और लेनदेन की गहन जांच करेगी। यदि अंबानी समय पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराते, तो जांच और सख्त हो सकती है। इस मामले में अगले कुछ दिनों में और खुलासे होने की संभावना है, जो रिलायंस ग्रुप और अनिल अंबानी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
यह मामला न केवल वित्तीय अनियमितताओं की जांच का हिस्सा है, बल्कि कॉरपोरेट जगत में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल भी उठा रहा है।