वाराणसी, 16 अप्रैल 2025, बुधवार। वाराणसी, जहां गंगा की लहरें और संस्कृति की गूंज हर कोने में बस्ती है, वहां एक नया विवाद सुर्खियां बटोर रहा है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं के हक पर डाका डालने की कोशिश ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। हाल ही में नियुक्त 8 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों की जॉइनिंग पर रोक लगा दी गई है, क्योंकि इनके दस्तावेजों पर फर्जीवाड़े का गंभीर आरोप लगा है। मामले की जांच शुरू हो चुकी है, और तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका ने हड़कंप मचा दिया है।
शिकायतों ने खोली पोल
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि नियुक्ति के बाद शिकायतों का अंबार लग गया। इनमें से 5 मामले निवास प्रमाण पत्र और 3 आय प्रमाण पत्र से जुड़े हैं। आरोप है कि इन महिलाओं ने तहसील कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर फर्जी दस्तावेज जमा किए, ताकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हथिया सकें। अब इनके दस्तावेजों की गहन जांच के साथ-साथ स्थलीय सत्यापन भी कराया जाएगा। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन और केस दर्ज करने की तैयारी है।
199 पदों के लिए उमड़ा था सैलाब
वाराणसी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के 199 रिक्त पदों के लिए 10,689 आवेदन आए थे। इनमें से 194 पदों पर भर्ती पूरी हुई, जिसमें प्राथमिकता बीपीएल कार्डधारक महिलाओं को दी गई। नियमों के मुताबिक, शहरी क्षेत्र में बीपीएल कार्डधारक की वार्षिक आय 56,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 46,000 रुपये से कम होनी चाहिए। लेकिन कुछ महिलाओं ने कथित तौर पर फर्जी आय और निवास प्रमाण पत्रों के दम पर यह मौका हथियाने की कोशिश की।
डिप्टी सीएम के हाथों बंटा था नियुक्ति पत्र
बीते 26 मार्च को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने वाराणसी में नवनियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को नियुक्ति पत्र सौंपे थे। लेकिन इसके तुरंत बाद IGRS और दफ्तर में शिकायतों की बाढ़ आ गई। मामला इतना गंभीर था कि प्रशासन को तत्काल जांच शुरू करनी पड़ी। अब सदर और पिंडरा तहसील के कर्मचारियों की भूमिका भी शक के घेरे में है।
तहसील कर्मचारियों पर गाज
फर्जी प्रमाण पत्रों के इस खेल में तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत की बात सामने आने से हड़कंप मच गया है। पड़ोसी जनपदों में भी ऐसी ही शिकायतों के बाद 10 लेखपालों को निलंबित किया जा चुका है। वाराणसी में अब तहसील कर्मचारी एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में जुट गए हैं। यह खुलासा न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि गरीब महिलाओं के हक छीनने की गहरी साजिश को भी बेनकाब करता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल
वाराणसी में कुल 3,914 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में 3,869 कार्यकर्त्रियां तैनात हैं, जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए काम करती हैं। लेकिन इस भर्ती घोटाले ने इस नेक काम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या होगा आगे?
यह मामला न केवल वाराणसी बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक सबक है। जांच के नतीजे क्या होंगे, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि गरीबों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन की सख्ती और जनता की जागरूकता से उम्मीद है कि ऐसे फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी, और सही हकदारों को उनका मौका मिलेगा। वाराणसी की गलियों में अब सिर्फ गंगा की लहरें ही नहीं, बल्कि इंसाफ की आवाज भी गूंज रही है।