वाराणसी, 14 अप्रैल 2025, सोमवार। वाराणसी, जहां गंगा की लहरें संस्कृति और आस्था की कहानी कहती हैं, वहां हाल ही में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के 199 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया ने सुर्खियां बटोरीं। बीते 26 मार्च को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 10 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपकर उनकी नई शुरुआत को हरी झंडी दिखाई थी। लेकिन अब इस भर्ती प्रक्रिया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने खुशी के माहौल को संदेह के घेरे में ला दिया है।
हजारों उम्मीदों के बीच छल
इन 199 पदों के लिए 10,689 आवेदन आए थे, यानी हर सीट के लिए करीब 54 दावेदार। चयन में प्राथमिकता बीपीएल कार्डधारकों को दी गई, जिनकी आय शहरी क्षेत्र में 56 हजार और ग्रामीण क्षेत्र में 46 हजार रुपये वार्षिक से कम होनी थी। लेकिन अब खुलासा हो रहा है कि कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के दम पर ये नौकरियां हथिया लीं। जिला कार्यक्रम अधिकारी के दफ्तर में 10 से अधिक नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए शिकायतें पहुंच चुकी हैं। इनमें फर्जी आय और निवास प्रमाणपत्र बनवाने के आरोप शामिल हैं, जिनकी जांच अब शुरू हो चुकी है।
तहसील बना भ्रष्टाचार का अड्डा?
शिकायतों में तहसील के राजस्वकर्मियों पर रिश्वत लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने का इल्जाम है। आरोप है कि जिनके पास कार, मकान और अन्य संपत्तियां हैं, उन्हें भी गरीबी का ‘सर्टिफिकेट’ थमा दिया गया। एक लेखपाल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस खेल में संविदा पर तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर भी शामिल हैं, जिन्हें अधिकारियों के लॉगिन कोड की जानकारी रहती है। जांच की आंच बढ़ने से तहसीलों में हड़कंप मचा है।
गाजीपुर की मिसाल
पड़ोसी जिले गाजीपुर में भी आंगनबाड़ी भर्ती में ऐसा ही घपला सामने आया था। वहां जांच के बाद 7 लेखपालों समेत 10 लोग निलंबित किए गए। वाराणसी में भी अब यही डर सता रहा है कि जांच की गाज कईयों पर गिर सकती है।
सपा नेता की दौड़भाग
सबसे चौंकाने वाली बात वाराणसी के एक सपा नेता से जुड़ी है, जिनकी तहसील में अचानक सक्रियता बढ़ गई है। सूत्रों का दावा है कि उन्होंने अपनी रिश्तेदार को फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी दिलवाई। इस रिश्तेदार के खिलाफ भी शिकायत दर्ज हो चुकी है। दिलचस्प यह है कि उक्त नेता को वाराणसी पुलिस किसी अन्य मामले में तलाश भी रही है।
क्या होगा आगे?
जिला प्रशासन ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए प्रमाणपत्रों का स्थलीय सत्यापन शुरू कर दिया है। अगर आरोप सही पाए गए, तो कई नियुक्तियां रद्द हो सकती हैं और दोषियों पर कार्रवाई तय है। वाराणसी की इस भर्ती प्रक्रिया ने एक बार फिर सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। क्या सच सामने आएगा, या फिर ये मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह तो वक्त ही बताएगा।