नई दिल्ली, 8 जनवरी 2025, बुधवार। बस्तर के जंगलों में एक प्रेम कहानी खिलखिलाती थी, जो नक्सलवाद के अंधेरे में दबी हुई थी। यह कहानी सोमडु और जोगी की थी, जो एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे। सोमड्डु और जोगी दोनों माओवादी संगठन के कैडर थे, जो जंगलों में रहते थे और संगठन के लिए लड़ते थे। लेकिन जब वे एक दूसरे से मिले, तो उनके दिलों में एक अनोखा रिश्ता बन गया।
जोगी की हंसी और सोमडु की संजीदगी के बीच अनकहा रिश्ता बन गया। वे एक दूसरे के साथ समय बिताना पसंद करते थे और एक दूसरे के बारे में जानने की कोशिश करते थे। लेकिन उनके प्यार को संगठन के नेता को मंजूर नहीं थे। उन्होंने सोमडु और जोगी को अलग करने की कोशिश की, लेकिन वे एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।
एक दिन, सोमडु और जोगी ने विवाह कर लिया और सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ निभाने का वचन ले लिया। लेकिन उनकी खुशियां ज्यादा दिन टिक नहीं पाईं। नक्सलियों के संगठन को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। उन्होंने सोमडु और जोगी को अलग करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन सोमडु और जोगी ने अपने प्यार के लिए सबसे बड़ा कदम उठाया, वो था ‘आत्मसमर्पण’।
उन्होंने बंदूकें छोड़ दीं और एक नए जीवन की तलाश में समाज की मुख्यधारा से जुड़ गए। बाद में सोमडु पुलिस में आरक्षक बन गया, और जोगी ने एक साधारण गृहिणी की भूमिका निभाई। दोनों ने नक्सलवाद के अंधेरे से निकलकर एक नई रोशनी देखी। लेकिन नक्सलियों को दोनों का साथ रहना कहां मंजूर था?
सोमवार की उस दोपहर, जब सोमडु अपने साथियों के साथ ऑपरेशन से लौट रहा था, एक भीषण विस्फोट ने सब कुछ खत्म कर दिया। आईईडी विस्फोट की आवाज जंगलों में गूंज गई। सोमड्डु का शरीर सड़क पर बिखरा हुआ था। उसका सपना, उसका प्यार, सब कुछ वहीं खत्म हो गया। जब यह खबर जोगी तक पहुंची, तो वह स्तब्ध रह गई। उसके आंखों से आंसू नहीं बह रहे थे। वह शून्य में देख रही थी, जैसे उसके भीतर की सारी दुनिया उजड़ चुकी हो।
लेकिन जोगी जानती थी कि सोमड़ु की शहादत केवल एक मौत नहीं थी, यह नक्सलवाद के खिलाफ उसके संघर्ष का अंतिम अध्याय था। सोमड़ु चला गया, लेकिन उसकी कहानी अमर है। वह न केवल जोगी के दिल में जिंदा है, बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो हिंसा और घृणा के बीच प्रेम और शांति का सपना देखता है। सोमड़ु की शहादत ने यह साबित किया कि प्रेम केवल जीने का नाम नहीं है, बल्कि सही मायनों में प्रेम वह है जो बलिदान में भी जीता है।
जोगी आज अकेली है, लेकिन उसकी आंखों में गर्व झलकता है। सोमड़ु ने जो रास्ता चुना, वह आसान नहीं था। लेकिन उसने दिखा दिया कि बस्तर की माटी में खून से ज्यादा गहरा प्रेम भी बहता है और जब कभी बस्तर के जंगलों में कोई चुपचाप प्रेम की बात करेगा, सोमड़ु और जोगी की कहानी वहां गूंजेगी – एक प्रेम, जो अधूरा रहकर भी पूरा था। नक्सलियों का दिल ही ऐसा है।