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Saturday, April 19, 2025

वाराणसी में फर्जी पहचान के साथ छिपा घुसपैठिया ATS के हत्थे चढ़ा: एक रोमांचक खुलासा

✍️ विकास यादव

वाराणसी, 9 अप्रैल 2025, बुधवार। वाराणसी, जो अपनी आध्यात्मिकता और इतिहास के लिए जाना जाता है, मंगलवार की देर रात एक सनसनीखेज घटना का गवाह बना। उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को गिरफ्तार किया, जो पिछले 15 साल से फर्जी दस्तावेजों के सहारे यहां छिपकर रह रहा था। यह शख्स कोई और नहीं, बल्कि बांग्लादेश के बंदरवन जिले का निवासी होल मोंग सिंग मार्मा था, जिसने खुद को मोंग फू मोग के नाम से भारतीय नागरिक बनाकर वाराणसी में अपनी जड़ें जमा ली थीं। ATS की तेज-तर्रार कार्रवाई ने न सिर्फ इस घुसपैठिए को बेनकाब किया, बल्कि एक बड़े अवैध नेटवर्क की ओर भी इशारा किया।

सीमा पार से वाराणसी तक का सफर

होल मोंग सिंग मार्मा की कहानी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं। करीब 15 साल पहले वह बांग्लादेश से घुसपैठियों के एक समूह के साथ भारत की सीमा में दाखिल हुआ। असम और बिहार के रास्ते उसने दलालों की मदद से माल्दा टाउन से ट्रेन पकड़ी और वाराणसी पहुंच गया। यहां उसने फर्जी भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए, जिसके दम पर वह सारनाथ के बरईपुर इलाके में किराए के मकान में रहने लगा। उसका नकली नाम था- मोंग फू मोग। शुरुआत में उसने बुद्धिस्ट टेंपल में हेल्पर की नौकरी की, लेकिन कम कमाई के चलते उसने वह काम छोड़ दिया। इसके बाद वह सारनाथ म्यूजियम के पास एक हैंडीक्राफ्ट की दुकान पर 15 हजार रुपये महीने की तनख्वाह पर काम करने लगा।

ATS की पैनी नजर और गिरफ्तारी

यूपी ATS की वाराणसी इकाई को पिछले कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि पूर्वांचल में कई घुसपैठिए फर्जी पहचान के साथ छिपे हुए हैं। इसी क्रम में सारनाथ में मोंग फू मोग की मौजूदगी की खबर मिली। स्थानीय लोगों ने भी संदेह जताया कि यह शख्स बांग्लादेशी हो सकता है। ATS ने तीन दिन तक उसकी गतिविधियों पर नजर रखी और मंगलवार रात दुकानों के कर्मचारियों के सत्यापन के दौरान उसे धर दबोचा। गिरफ्तारी के बाद ATS और पुलिस की संयुक्त पूछताछ में उसने अपने सारे राज उगल दिए। उसके पास से बरामद फर्जी दस्तावेजों ने अधिकारियों को चौंका दिया।

जिंदगी में प्यार और शादी का रंग

मोंग फू मोग की जिंदगी में सिर्फ छलावा ही नहीं, बल्कि एक प्रेम कहानी भी जुड़ी है। साल 2019 में म्यांमार से आए पर्यटकों के एक दल के लिए उसने काम किया, जहां उसकी मुलाकात एक युवती से हुई। दोस्ती प्यार में बदली और उसी साल उसने म्यांमार जाकर उससे शादी कर ली। उसकी पत्नी अभी म्यांमार में रहती है, लेकिन वह कभी-कभार वाराणसी आती रहती है। इस दौरान वह अपने घुसपैठिए पति के संपर्क में बनी रहती थी।

फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड नेटवर्क

पूछताछ में मोंग फू मोग ने बताया कि म्यांमार में सक्रिय एक गिरोह ने उसकी मदद की, जो अवैध तरीके से लोगों को भारत में बसाने का काम करता है। इस गिरोह के जरिए उसने 2010 में मिजोरम के रास्ते भारत में प्रवेश किया और फिर असम, बिहार होते हुए वाराणसी पहुंचा। सारनाथ में उसने बौद्ध धर्म का अनुयायी होने का दावा करते हुए अपनी पहचान को और मजबूत किया। उसका कहना था कि वह खुद को पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाके का निवासी बताता था, ताकि किसी को शक न हो।

अधिकारियों में हड़कंप, जांच तेज

प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे से ठीक पहले इस घुसपैठिए की गिरफ्तारी ने पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। ATS ने सारनाथ थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया। एसीपी डॉ. अतुल अंजान त्रिपाठी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए उसके दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है। पुलिस अब उसके संभावित साथियों और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुट गई है।

एक सवाल, कई जवाब

यह घटना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि उन दलालों और गिरोहों की मौजूदगी को भी उजागर करती है, जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता का जामा पहनाने में माहिर हैं। मोंग फू मोग की गिरफ्तारी एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन असली चुनौती इस पूरे रैकेट को जड़ से उखाड़ने की है। क्या यह कार्रवाई पूर्वांचल में छिपे अन्य घुसपैठियों को बेनकाब कर पाएगी? यह सवाल अभी अनसुलझा है, लेकिन ATS की मुस्तैदी ने एक उम्मीद जरूर जगाई है।

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