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Wednesday, December 18, 2024

अडानी समूह पर अमेरिकी बम: भारत सरकार ने तोड़ी चुप्पी, जानें क्या कहा!

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2024, शुक्रवार। अडानी समूह और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह मामला निजी व्यक्तियों और संस्थाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सरकार ने इस मामले में भारत को पहले से कोई जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में भारत और अमेरिका के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। जायसवाल ने बताया कि भारत सरकार को इस संबंध में कोई समन या गिरफ्तारी वारंट तामील करने का अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनुरोध परस्पर कानूनी सहायता का हिस्सा होते हैं और इसे मामलों की मेरिट पर जांचा जाता है।
अडानी समूह पर अमेरिकी न्याय विभाग का बड़ा आरोप: रिश्वत और झूठ का खेल!
अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह के गौतम अडानी, सागर अडानी और वनीत एस जैन पर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देकर सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हासिल किए। साथ ही, निवेशकों से धन जुटाने के दौरान इन रिश्वतों के बारे में झूठ बोला। इस मामले में अडानी समूह की क्रेडिट रेटिंग पर भी सवाल उठाए गए हैं। मूडीज ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के लिए क्रेडिट नेगेटिव करार दिया है। इसका मतलब है कि अडानी समूह की कंपनियों को भविष्य में कर्ज लेने में मुश्किल हो सकती है। अडानी समूह ने अपने कर्ज को कम करने के प्रयास जारी रखे हैं। हाल ही में समूह ने शेयर-समर्थित फाइनेंसिंग में 7,374 करोड़ रुपये का प्री-पेमेंट किया है और महीने के अंत तक सभी ऐसे कर्जों को खत्म करने का वादा किया है।
अदाणी मामला: भारत सरकार की पहली प्रतिक्रिया!
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि अदाणी मामला पूरी तरह से अमेरिकी न्याय विभाग और निजी व्यक्तियों व संस्थाओं से जुड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सरकार इस मामले में किसी भी कानूनी पक्ष का हिस्सा नहीं है। जायसवाल ने कहा कि यह मामला अमेरिकी न्याय विभाग और निजी व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच का है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस मुद्दे के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यदि अमेरिका की ओर से भारत को कानूनी सहायता का अनुरोध प्राप्त होता है, तो भारत इसे अपने मौजूदा कानूनों और प्रक्रियाओं के तहत जांच करेगा।

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