भारत के प्रसिद्ध शिल्पीकार अरुण योगीराज को अमेरिका ने वीजा देने से इनकार कर दिया है। अरुण योगीराज ने राम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित विश्व प्रसिद्ध बालराम की मूर्ति बनाई है। विश्व कन्नड़ सम्मेलन में भाग लेने के लिए अरुण योगीराज अमेरिका जानेवाले थे। यह कॉन्फ्रेंस 30 अगस्त से एक सितंबर के बीच वर्जीनिया के रिचमंड कन्वेंशन सेंटर में होनी थी। इस कान्फ्रेंस को साल में दो बार आयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य दुनियाभर के अलग-असल समुदायों के सदस्यों को एक जगह लाना है। वहीं, अरुण योगीराज के मुताबिक जरूरी कागजात मुहैया कराए गए थे लेकिन अमेरिका की तरफ से वीजा क्यों नहीं दिया गया इसकी वजह साफ नहीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिवार के लोगों ने योगीराज को वीजा नहीं दिए जाने पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि योगीराज की पत्नी विजेता पहले ही अमेरिका पहुंच गई हैं और योगीराज को वीजा नहीं मिलना दुखद है। उन्होंने कहा कि योगीराज ने इसके लिए सभी तरह की तैयारियां भी कर ली थी, लेकिन ऐन मौके पर वीजा नहीं मिला।
अरुण योगीराज प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। वह कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं। उनकी कई पीढियां इसी काम से जुड़े हुए हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी एक बेहतरीन मूर्तिकार हैं और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घराने महलों में अपनी कला दिखाई थी। अरुण मूर्तिकार का मैसूर राजा के कलाकारों के परिवार से संबंध है। अरुण योगीराज ने सिर्फ रामलला की ही मूर्ति नहीं बनाई है, बल्कि उन्होंने इससे पहले आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची मूर्ति बनाई थी, जिसे केदारनाथ में रखा गया है।
उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बनाई थी, जिसे दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित किया गया है। अरुण योगीराज की मूर्तियों को लोग सोशल मीडिया पर खूब पसंद करते हैं। रामलला की मूर्ति बनाने के बाद उन्होंने कहा था कि जब मूर्ति बनी थी, उस समय वह अलग दिखती थी, लेकिन 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान की मूर्ति ने अलग रूप ले लिया। उन्होंने बताया था कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद वह खुद उस मूर्ति को नहीं पहचना सके थे।