नई दिल्ली, 19 जून 2025, गुरुवार। पवित्र अमरनाथ यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं के दिलों में आस्था और उत्साह का संचार करती है, इस बार एक अनचाहे डर के साये में शुरू होने जा रही है। आतंकी खतरों की आशंका ने इस बार यात्रा के रंग में भंग डाल दिया है। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से 1 जुलाई से 10 अगस्त तक पूरे क्षेत्र को नो-फ्लाइंग जोन घोषित कर हेलीकॉप्टर सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है। यह फैसला न केवल यात्रियों के लिए झटका है, बल्कि कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को भी गहरा आघात पहुंचा रहा है।
इस बार यात्रा पर मंडरा रहे आतंकी खतरे ने प्रशासन को पहली बार इतना सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर किया। सूत्रों की मानें तो आतंकी हेलीकॉप्टरों को निशाना बना सकते थे, जिसके चलते यह कठोर निर्णय लिया गया। हालांकि, आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, लेकिन यह कदम उन दावों पर सवाल उठाता है, जिसमें कश्मीर को पूरी तरह सुरक्षित बताया जा रहा था।
बैसरन हमले ने जगाई थी चिंता
पिछले 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में हुए भयावह आतंकी हमले ने कश्मीर की शांति को तार-तार कर दिया था। इस हमले ने न केवल पर्यटकों के मन में डर पैदा किया, बल्कि घाटी के पर्यटन उद्योग को भी ठप कर दिया। कई पर्यटन स्थल बंद हो गए, और पर्यटकों ने कश्मीर से दूरी बना ली। दो महीने की कड़ी मेहनत और प्रचार के बाद, जब स्थानीय लोग और कारोबारी यह उम्मीद जगा रहे थे कि अमरनाथ यात्रा से उनके पुराने सुनहरे दिन लौट आएंगे, तब यह अप्रत्याशित फैसला एक करारा झटका बनकर सामने आया।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों में मायूसी
हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद होने से सबसे ज्यादा निराशा उन श्रद्धालुओं में है, जो उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों पर पैदल चलने में असमर्थ हैं। बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर यात्री, जो हेलीकॉप्टर के सहारे बाबा बर्फानी के दर्शन की योजना बना रहे थे, अब असमंजस में हैं। कई श्रद्धालुओं के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमरनाथ यात्रा वाकई सुरक्षित होगी? बढ़ते सुरक्षा प्रबंधों और इस तरह के कड़े फैसलों ने यात्रा के प्रति डर और अनिश्चितता को और गहरा दिया है।
कश्मीर की छवि पर सवाल
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, “बैसरन हमले के बाद कश्मीरियों ने दिन-रात मेहनत कर हालात को सामान्य करने की कोशिश की थी। लेकिन इस एक फैसले ने सब कुछ मिट्टी में मिला दिया। यह कश्मीर की छवि को पूरे देश में नकारात्मक रूप से पेश करेगा।” स्थानीय लोगों को भी लगता है कि यह निर्णय उनकी आजीविका पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि अमरनाथ यात्रा घाटी के लिए आर्थिक समृद्धि का बड़ा जरिया है।