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Sunday, August 10, 2025

राहुल अपहरण कांड से जुड़ा अमरमणि त्रिपाठी का नाम, छीन गया सत्ता

बस्ती के व्यापारी धरमराज मद्धेशिया के बेटे राहुल के अपहरण मामले में आरोपी बना पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी 22 वर्ष बीतने के बाद अभी तक न्यायालय में पेश नहीं हुआ। इस मामले में उसे फरवरी 2002 में जमानत मिली थी। इस दौरान अमरमणि 12 वर्ष मेडिकल कॉलेज में भी रहा, लेकिन एक बार भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

22 वर्ष पूर्व की इस घटना ने खूब सुर्खियां बटोरीं। हालात ऐसे हो गए कि अमरमणि को मंत्री पद गंवाना पड़ा। अब न्यायालय ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है। बीती 17 अगस्त को सीएमओ गोरखपुर को मेडिकल बोर्ड गठित कराकर जांच रिपोर्ट मांग ली है। इसी के बाद अमरमणि की मुश्किलें फिर से बढ़ गई हैं।

6 दिसंबर 2001 को बस्ती से ही व्यापारी धरमराज मद्धेशिया के बेटे राहुल का अपहरण हो गया था। परिजनों ने मामले में बस्ती के कोतवाली थाने में अपहरण का केस दर्ज कराया था। पिता धरमराज ने तहरीर में लिखा था कि उनका बेटा राहुल बस्ती के एक निजी विद्यालय का संस्थागत छात्र है। रोजाना की तरह घर से स्कूल जाने के लिए निकला था।

सुबह करीब 7.45 बजे बेटा जब एक गुप्ता परिवार के घर के सामने से गुजर रहा था, उसी समय सफेद रंग की मारुति कार से आए बदमाशों ने उसका अपहरण कर लिया। गुप्ता परिवार के अलावा इस घटना के कुछ और चश्मदीद भी थे।

तहरीर के आधार पर मुकदमा को दर्ज करने के साथ बच्चे की बरामदगी के लिए पुलिस की टीम ने घेराबंदी शुरू कर दी। एक बीती सप्ताह के बाद 13 दिसंबर को लखनऊ के एक घर से बच्चे की बरामदगी होने के साथ ही पुलिस ने संदीप त्रिपाठी नाम के बदमाश को गिरफ्तार किया था।

पुलिस की पूछताछ में पूरी कहानी सामने आई थी। न्यायालय में दाखिल चार्जशीट के अनुसार, आरोपी बनाए गए संदीप त्रिपाठी ने अपने साथियों के नाम बताए थे। इसके अलावा पुलिस के सामने दिए इकबालिया अ बयान में कहा था कि बच्चे के अपहरण के समय साथियों के साथ कई बार गाड़ी को बदलते हुए वह लखनऊ पहुंचा था। इसी दौरान पूछताछ में अमरमणि का नाम भी पुलिस के सामने आया था। उसका यह बयान भी न्यायालय में दाखिल चार्जशीट में दर्ज है।

इधर, मंत्री का नाम आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। तीन महीने में ही अमरमणि का मंत्री पद भी चला गया। अपहरण के मामले में पुलिस का दबाव बढ़ने पर अमरमणि त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय से एक फरवरी 2002 में जमानत ले ली थी।

इस जमानत के बाद अमरमणि त्रिपाठी एक फिर से राजनीति अब बयान में सक्रिय हो गया था। लेकिन मुश्किलों ने पीछा नहीं छोड़ा। एक साल बाद ही 2003 में लखनऊ में ही मधुमिता शुक्ला हत्याकांड हो गया। इसमें भी तत्कालीन मंत्री अमरमणि आरोपी बनाया गया। 2007 में आजीवन कारावास की सजा हो गई। तब से अब तक इस मामले में अमरमणि बस्ती की कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ।

पिता धर्मराज की हो चुकी है गवाही

वादी धरमराज के बड़े बेटे कृष्ण मुरारी मद्धेशिया ने बताया कि उनके भाई का अपहरण 2001 में हुआ था। इस संबंध में पिता धरमराज की गवाही भी लखनऊ न्यायालय में हो गई थी। लंबा समय बीतने की वजह से किस न्यायालय में हुई थी, यह याद नहीं है। लेकिन, पिता ने गवाही के दौरान बताया था कि राहुल को नशे का पदार्थ सुंघा दिया गया था। इसके चलते वह किसी को एक फरवरी पहचान नहीं पाया।

कृष्ण मुरारी ने बताया कि पिता का निधन 10 जून 2014 को हो गया। वह खुद इस मामले में पैरवी नहीं कर रहे हैं मगर न्यायालय की तरफ से अगर उन्हें, मां या भाई राहुल को बुलाया जाएगा तो उन्हें जाना पड़ेगा।

गिरफ्तारी या कोर्ट में पेशी के बाद ही शुरु हो सकेगा ट्रायल

विशेष लोक अभियोजक देवानंद सिंह ने बताया कि 22 वर्ष से मामला न्यायालय में लंबित है। इस मामले में सभी आरोपियों के कोर्ट में पेश होने के बाद ही मामले में ट्रायल हो शुरू हो सकेगा। इसी के बाद मामले में गवाही और अन्य सबूतों के आधार पर आरोप साबित हो सकेंगे। पिछले दिनों न्यायालय ने मामले में सख्त रुख अख्तियार किया। न्यायालय ने 17 अगस्त को सीएमओ को निर्देशित किया कि अमरमणि त्रिपाठी का स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड से जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जबकि, आरोपी नैनीश शर्मा और शिवम के खिलाफ वारंट जारी करते हुए उन्हें न्यायालय में पेश करवाने के लिए कोतवाली थाने को निर्देशित किया है।

22 वर्ष से अभी तक कोर्ट में ट्रायल तक नहीं हो सका शुरू

राहुल के अपहरण में पुलिस ने पहले कुल सात आरोपी बनाए थे। इनमें मुख्य आरोपी संदीप त्रिपाठी मर चुका है। उसके साथ हनुमान शुक्ला उर्फ काका, अजय मिश्रा, आनंद सिंह, राम विलास, जग प्रताप वर्मा, नैनीश शर्मा, शिवम को आरोपी बनाया गया। इन्हीं आरोपियों के साथ अमरमणि त्रिपाठी का नाम भी जोड़ा गया था।

इसी बीच पुलिस ने मामले में संदीप, हनुमान, अजय, आनंद राम विलास, जग प्रताप को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद बदमाशों को कोर्ट में पेश कर सभी पर आरोप तय दिए गए। सभी का ट्रायल भी शुरू हो गया। लेकिन नैनीश और शिवम के साथ अमरमणि इस मामले में कोर्ट में पेश नहीं हुआ। न ही तीनों की गिरफ्तारी हो सकी। संदीप की मौत के बाद अन्य आरोपियों ने अपनी फाइल अलग करवा ली। जबकि अमरमणि, नैनीश और शिवम जमानत लेने के 22 वर्ष बाद भी कोर्ट में पेश नहीं हुए।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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