N/A
Total Visitor
30.2 C
Delhi
Sunday, July 6, 2025

बीएचयू में लैंगिक उत्पीड़न के आरोपों ने मचाई खलबली: कुलपति, निदेशक और ट्रॉमा सेंटर प्रभारी को महिला आयोग का समन

वाराणसी, 6 जुलाई 2025: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) एक बार फिर विवादों के साये में है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने विश्वविद्यालय में लैंगिक उत्पीड़न और भेदभाव से जुड़े तीन गंभीर मामलों को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। आयोग ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार, आयुर्विज्ञान संस्थान (IMS) के निदेशक प्रो. एस.एन. संखवार और ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह को 14 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का फरमान जारी किया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप

महिला आयोग के इस कदम से बीएचयू प्रशासन में खलबली मच गई है। सूत्रों की मानें तो कार्यवाहक कुलपति ने ट्रॉमा सेंटर प्रभारी और अन्य अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें शुरू कर दी हैं ताकि आयोग के सवालों का जवाब देने की रणनीति तैयार की जा सके।

आयुर्वेद संकाय में मानसिक उत्पीड़न का आरोप

पहला मामला आयुर्वेद संकाय से जुड़ा है, जहां प्रोफेसर नम्रता जोशी ने डीन और रसशास्त्र विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर पर मानसिक उत्पीड़न, संस्थागत भेदभाव और महिला विरोधी व्यवहार का गंभीर आरोप लगाया है। प्रो. जोशी का दावा है कि उनकी शिकायतों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने बार-बार अनसुना किया, जिसके बाद उन्होंने महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया।

पत्रकारिता विभाग में लंबित जांच

दूसरा मामला पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग से है। इस मामले में आयोग ने पहले ही जांच रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन विश्वविद्यालय के असंतोषजनक जवाब ने आयोग को अधिकारियों को तलब करने के लिए मजबूर किया। आयोग इस मामले को जल्द निपटाने के मूड में है।

ट्रॉमा सेंटर में तानाशाही का आरोप

तीसरा और सबसे चर्चित मामला ट्रॉमा सेंटर से जुड़ा है, जहां एक महिला प्रोफेसर ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न और प्रशासनिक तानाशाही की शिकायत की है। प्रोफेसर का आरोप है कि केंद्र प्रभारी और अन्य अधिकारियों का व्यवहार उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।

महिला आयोग का सख्त रुख

महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने इन मामलों को “लैंगिक अपराध और संस्थागत असंवेदनशीलता का गंभीर उदाहरण” करार देते हुए चेतावनी दी है कि अगर अधिकारी तय तारीख पर पेश नहीं हुए या संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा है कि इन मामलों में अब तक क्या कदम उठाए गए और अगर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इसका कारण क्या है?

विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी

इस मामले में बीएचयू प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई आधिकारिक बयान नहीं मिल सका। जैसे-जैसे 14 जुलाई की तारीख नजदीक आ रही है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन आयोग के सामने अपनी स्थिति कैसे स्पष्ट करता है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »