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Wednesday, March 26, 2025

जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का बेमियादी हड़ताल का ऐलान

प्रयागराज 25 मार्च 2025, मंगलवार: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के उस फैसले का कड़ा विरोध जताया है, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई। इस फैसले के खिलाफ बार एसोसिएशन ने मंगलवार, 25 मार्च यानी आज से अनिश्चितकालीन (बेमियादी) हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। यह निर्णय सोमवार को बार एसोसिएशन की आम सभा की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता HCBA के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने की।

विवाद की जड़ और बार का रुख

जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम तब सुर्खियों में आया जब उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर हाल ही में आग लगने की घटना के बाद भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबरें सामने आईं। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 24 मार्च 2025 को बैठक कर जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का प्रस्ताव पारित किया। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस फैसले को “अनुचित” और “न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ” करार देते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बैठक के बाद कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ेदान नहीं है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जज को यहां स्थानांतरित कर दिया जाए। हम इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे। यह न केवल हमारे कोर्ट की प्रतिष्ठा पर हमला है, बल्कि जनता के न्यायिक विश्वास को भी कमजोर करने की साजिश है।” उन्होंने साफ किया कि बार एसोसिएशन इस मामले में “आर-पार की लड़ाई” के लिए तैयार है और जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यभार ग्रहण करने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

हड़ताल का ऐलान और मांगें

सोमवार को हुई जनरल बॉडी मीटिंग में 11 प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें से प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

जस्टिस वर्मा का तबादला रद्द हो: बार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना से अपील की है कि जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला किसी भी सूरत में न किया जाए।

महाभियोग की मांग: HCBA ने केंद्र सरकार और CJI से जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।

CBI और ED से जांच: बार ने मांग की है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच CBI और ED जैसी स्वतंत्र एजेंसियों से कराई जाए।

फैसलों की समीक्षा: जस्टिस वर्मा द्वारा दिए गए पिछले फैसलों की समीक्षा की जाए ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

कॉलेजियम सिस्टम में सुधार: बार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले की कॉलेजियम प्रणाली में पारदर्शिता और सुधार की जरूरत पर जोर दिया।

अनिल तिवारी ने कहा, “25 मार्च से हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ी तो कोर्ट का बहिष्कार भी करेंगे। यह लड़ाई केवल वकीलों की नहीं, बल्कि न्यायपालिका को बचाने की है।”

अधिवक्ताओं में आक्रोश

हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं में इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। कई वकीलों का मानना है कि जस्टिस वर्मा का तबादला न केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट की साख को प्रभावित करेगा, बल्कि यह आम जनता के बीच न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाएगा। एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अगर एक जज के घर से करोड़ों की नकदी मिलती है और उसे सजा की बजाय तबादले का ‘इनाम’ दिया जाता है, तो यह संदेश जनता तक क्या जाएगा?”

आगे की रणनीति

बार एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। अनिल तिवारी ने चेतावनी दी, “हम जस्टिस वर्मा को यहां स्वागत नहीं करने देंगे। अगर वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में शामिल होने की कोशिश करते हैं, तो हम कोर्ट परिसर में अनिश्चितकाल तक धरना देंगे।” इसके साथ ही, बार ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले का यह विवाद अब एक बड़े आंदोलन की शक्ल लेता दिख रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का यह कड़ा रुख न केवल न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को रेखांकित करता है, बल्कि कॉलेजियम सिस्टम पर भी सवाल उठाता है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न्यायिक और राजनीतिक हलकों में गरमाहट पैदा कर सकता है। हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं की यह बेमियादी हड़ताल निश्चित रूप से न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करेगी, और सभी की निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

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