नई दिल्ली, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। कर्नाटक के बेंगलुरु में शुक्रवार, 21 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की शुरुआत हुई। यह बैठक संघ के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह संगठन अपने शताब्दी वर्ष (2025) की तैयारियों में जुटा है। इस सभा में देश भर से आए प्रतिनिधि राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे, साथ ही संगठन की भविष्य की दिशा और रणनीति पर विचार-मंथन करेंगे। बैठक की शुरुआत में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रख्यात तबला वादक जाकिर हुसैन और संघ के दिवंगत कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जो इस आयोजन का एक भावनात्मक पहलू रहा।
मणिपुर के हालात पर चिंता
बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने मणिपुर में चल रहे संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले 20 महीनों से मणिपुर एक गंभीर और दुखद दौर से गुजर रहा है। मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा ने राज्य में शांति और स्थिरता को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। मुकुंद सीआर ने केंद्र सरकार के हालिया राजनीतिक और प्रशासनिक फैसलों का जिक्र करते हुए आशा जताई कि इन कदमों से स्थिति में सुधार होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मणिपुर में पहले जैसा सामान्य माहौल स्थापित होने में अभी लंबा समय लग सकता है। यह बयान मणिपुर के संकट की जटिलता और इसके समाधान में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करता है।
भाषा विवाद और परिसीमन पर विचार
मुकुंद सीआर ने तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच भाषा नीति को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपनी राय रखी। तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर समय-समय पर विरोध देखा जाता रहा है, और हाल ही में तीन भाषा नीति को लेकर बहस तेज हुई है। उन्होंने कहा कि देश में कुछ ताकतें राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। उनका इशारा उत्तर और दक्षिण भारत के बीच कथित सांस्कृतिक और भाषाई विभाजन को बढ़ावा देने वाली राजनीतिक गतिविधियों की ओर था। इसके अलावा, उन्होंने परिसीमन (लोकसभा सीटों के पुनर्गठन) की चर्चा को भी उठाया, जो दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से तमिलनाडु में चिंता का विषय बना हुआ है। तमिलनाडु के राजनीतिक दलों का मानना है कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होने से दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं, जिसे वे अपने हितों के खिलाफ मानते हैं।
मुकुंद सीआर ने इन मुद्दों को “पॉलिटिकली मोटिवेटेड” करार देते हुए कहा कि इनका इस्तेमाल ज्यादातर राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। उनका यह बयान केंद्र और विपक्षी दलों के बीच चल रहे वैचारिक मतभेदों की ओर संकेत करता है। संघ का मानना है कि ऐसी बहसें देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं, और इनका समाधान संवाद और साझा हितों के आधार पर होना चाहिए।
संघ का दृष्टिकोण और व्यापक संदेश
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह आयोजन केवल संगठनात्मक चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के सामने मौजूद सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों पर संघ के नजरिए को भी सामने लाता है। मणिपुर संकट पर चिंता और भाषा-परिसीमन जैसे मुद्दों पर टिप्पणी से यह स्पष्ट होता है कि संघ इन समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है और इनके समाधान के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों को समर्थन दे रहा है। साथ ही, यह भी संदेश दे रहा है कि राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
बेंगलुरु में चल रही यह सभा 23 मार्च तक जारी रहेगी, जिसमें विभिन्न प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। ये प्रस्ताव संघ के विचारों और अगले एक साल की कार्ययोजना को दिशा देंगे। मणिपुर और तमिलनाडु जैसे मुद्दों पर चर्चा से यह साफ है कि संघ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अपनी भूमिका को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।