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Friday, November 22, 2024

दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर टिकीं सबकी नजरें, पढ़ें इस मामले से जुड़ीं अहम बातें

मैरिटल रेप'(वैवाहिक बलात्कार) से जुड़ी याचिकाओं पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाओं में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण का जिक्र किया गया है। इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि आईपीसी की धारा 376 के तहत आरोपी को सजा दिलाने के लिए कई प्रावधान हैं। जैसे- चोट के निशान, मारपीट, शरीर के अंगों को जबरन छूना, लेकिन वैवाहिक बलात्कार में इन सबूतों की पुष्टि करना मुश्किल होगा।

केंद्र सरकार ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि वैवाहिक बलात्कार को किसी भी कानून के अंतर्गत परिभाषित नहीं किया गया है। जबकि बलात्कार को आईपीसी की धारा 375 के तहत परिभाषित किया गया है। केंद्र ने कहा कि इसे अपराध घोषित करने के लिए व्यापक आधार की आवश्यकता होगी। इसकी समाज में आम सहमति होनी चाहिए। वैवाहिक बलात्कार क्या होता है यह बताने की आवश्यकता है। केंद्र ने यह भी कहा है कि भारत में साक्षरता, आर्थिक कमजोरी, महिला सशक्तिकरण की कमी, गरीबी जैसे इसके कई कारण हैं। इसलिए भारत को इस मामले में बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए।

वहीं इस मामले में अदालत की सहायता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव अदालत के समक्ष तर्क रखा चुके हैं कि दो पक्षों के बीच विवाह की स्थिति में एक पत्नी को अपने पति पर वैवाहिक दुष्कर्म के लिए मुकदमा चलाने से वंचित नहीं किया जा सकता और न ही ऐसा करने का पर्याप्त आधार है।

राव ने इंडिपेंडेंट थॉट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा शीर्ष अदालत ने धारा 375 के पहले के अपवाद में स्पष्ट किया है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध दुष्कर्म है भले ही वह शादीशुदा हो या नहीं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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