प्रयागराज के महाकुंभ में साधु-संन्यासियों की तहर ही श्रद्धालुओं की दुनिया भी अनोखी है। कोई दंडवत करते हुए पहुंच रहा है तो कोई पैदल ही। बिहार के अक्षत तो 11 महीने 27 दिन की पैदल यात्रा करके महाकुंभ में अमृत स्नान करने पहुंचे हैं। महाकुंभ में पहुंचने के लिए अक्षत ने 10 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा की। अभी तक वह दो धाम और छह ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी कर चुके हैं। महाकुंभ में पांच दिनों तक घूमने के बाद वह अगले पड़ाव पुणे के लिए निकलेंगे।
भारत की विविधताओं को नजदीक से जानने की कामना ने अक्षत के मन में पैदल यात्रा का संकल्प पैदा किया। बिहार के वैशाली जिले के पटेरी बेलसर गांव के रहने वाले अक्षत सिंह ने भारत भ्रमण के लिए बैंक, रेलवे और कर्मचारी चयन आयोग की नौकरी भी छोड़ दी। अक्षत ने बताया कि उन्होंने जब नौकरी छोड़कर भारत भ्रमण की तैयारी शुरू की तो माता-पिता ने विरोध किया। मैंने उनको समझाया और उन्होंने मुझे इसकी अनुमति दे दी
11 महीने 27 दिन पहले मैंने अपने गांव से पैदल यात्रा शुरू की थी। अभी तक मैं 10 हजार किलोमीटर पैदल चल चुका हूं। सबसे पहले मैंने बाबा बैद्यनाथ का दर्शन किया। इसके बाद नागेश्वर, सोमनाथ,ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर के साथ ही जगन्नाथपुरी और द्वारिका की भी यात्रा की। अभी तक मैंने दो धाम और छह ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी कर ली है।
सुबह आठ बजे से शुरू करते हैं यात्रा
अक्षत ने बताया कि वह पैदल यात्रा की शुरूआत सुबह आठ बजे से करते हैं। सर्दियों में तो शाम को चार बजे तक और गरमी में शाम को छह बजे तक पैदल चलते हैं। मंदिर और धर्मशाला में रात बिताने के बाद वह अगले पड़ाव की ओर निकलते हैं। रोज वह 35 किलोमीटर पैदल चलने का लक्ष्य लेकर चलते हैं। किसी दिन यह कम या ज्यादा भी हो जाता है। महाकुंभ में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का अमृत स्नान करना था इसलिए हर रोज 18 किलोमीटर ज्यादा पैदल चले। रात में पहुंचे और गंगा स्नान भी कर लिया। अब पांच दिनों तक महाकुंभ मेले में पैदल यात्रा करेंगे।