योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला: JPNIC परियोजना LDA को सौंपी, JPNIC सोसाइटी भंग
लखनऊ, 3 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी (सपा) के ड्रीम प्रोजेक्ट जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) को लेकर गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। योगी कैबिनेट ने JPNIC को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंपने और इसके संचालन के लिए गठित JPNIC सोसाइटी को भंग करने का फैसला किया है। अब LDA इस केंद्र के संचालन, रखरखाव और पूर्ण करने की जिम्मेदारी संभालेगा।
821 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च, अब LDA के जिम्मे
JPNIC परियोजना की शुरुआत सपा सरकार ने 2013 में की थी, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। इस परियोजना पर अब तक 821.74 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन यह अभी तक पूरी नहीं हो सकी। योगी कैबिनेट ने इस राशि को LDA के लिए ऋण के रूप में माना है, जिसे LDA को 30 वर्षों में चुकाना होगा।
कैबिनेट बैठक के बाद उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने पत्रकारों को बताया, “JPNIC सोसाइटी को भंग कर परियोजना को यथास्थिति LDA को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया है। LDA अब इस केंद्र के निर्माण, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी लेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि LDA को निजी सहभागिता के जरिए परियोजना को संचालित करने, प्रक्रिया और शर्तें तय करने, सोसाइटी की सदस्यता समाप्त करने और अन्य कार्यों के लिए पूर्ण रूप से अधिकृत किया गया है।
JPNIC: अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट, विवादों में रहा घिरा
JPNIC को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर बनाया गया था, जिसका उद्देश्य एक विश्व स्तरीय सम्मेलन, संस्कृति, खेल और संग्रहालय परिसर स्थापित करना था। यह केंद्र 18.6 एकड़ में फैला है और इसमें कन्वेंशन हॉल, 107 कमरों वाला लग्जरी होटल, जिम, स्पा, सैलून, रेस्तरां, 2,000 सीटों वाला ऑडिटोरियम, ओलंपिक आकार का स्विमिंग पूल, सात मंजिला कार पार्क और जयप्रकाश नारायण के जीवन और विचारधारा को समर्पित एक संग्रहालय शामिल है।
2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इस परियोजना को रोक दिया गया और इसमें कथित भ्रष्टाचार की जांच के आदेश दिए गए। जांच में तत्कालीन LDA उपाध्यक्ष, मुख्य अभियंता और वित्त नियंत्रक सहित कई अधिकारियों को दोषी पाया गया, हालांकि जांच अभी भी जारी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे अपनी सरकार की उपलब्धि बताते हुए बार-बार योगी सरकार पर परियोजना को बर्बाद करने और बेचने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
सियासी घमासान और अखिलेश का विरोध
JPNIC को लेकर सपा और भाजपा के बीच सियासी जंग कोई नई बात नहीं है। अखिलेश यादव हर साल जयप्रकाश नारायण की जयंती पर इस केंद्र में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उन्हें प्रशासन द्वारा रोका गया। 2023 में अखिलेश ने गेट फांदकर केंद्र में प्रवेश किया था, जबकि 2024 में गेट पर टिन शेड लगाकर उन्हें रोक दिया गया। अखिलेश ने इसे भाजपा की “गंदी राजनीति” करार देते हुए कहा कि सरकार JPNIC को निजी हाथों में बेचने की कोशिश कर रही है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा, “हम समाजवादी JPNIC को खरीदने के लिए तैयार हैं, अगर सरकार इसे बेचना चाहती है। हम इसके लिए दान लेंगे, पैसा इकट्ठा करेंगे, लेकिन इसे अपने पास रखना चाहेंगे।” दूसरी ओर, योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि JPNIC को बेचने की कोई योजना नहीं है, और अब LDA के तहत इसे पूरा करने और संचालित करने की दिशा में काम किया जाएगा।
LDA की नई जिम्मेदारी
LDA को अब न केवल JPNIC को पूरा करने, बल्कि इसके संचालन और रखरखाव का जिम्मा भी सौंपा गया है। LDA को निजी एजेंसियों के साथ साझेदारी करने और परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत संचालित करने की अनुमति दी गई है। पहले भी LDA ने 2023 में परियोजना को पूरा करने के लिए 83 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका था।