N/A
Total Visitor
34.3 C
Delhi
Friday, June 27, 2025

अखिलेश का वार: भ्रष्टाचार, इतिहास और सत्ता के खेल पर सवालों की बौछार

लखनऊ, 23 मार्च 2025, रविवार। 23 मार्च 2025 का दिन उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल लेकर आया, जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे अखिलेश ने इस मौके को न सिर्फ समाजवादी विचारधारा को याद करने का अवसर बनाया, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था और ऐतिहासिक विवादों के मोर्चे पर घेरने का मंच भी बना लिया। उनके बयान में क्रांतिकारियों को नमन से लेकर सत्ता के गलियारों में छिपे कथित भ्रष्टाचार तक, हर रंग था। लेकिन क्या यह सिर्फ सियासी तीर थे, या सच की गहरी परतें? चलिए, इस बयान की परतें खोलते हैं और देखते हैं कि इसमें कितना दम है।

हर जिला लूटा, भू-माफिया बने BJP नेता

अखिलेश ने BJP पर उत्तर प्रदेश को “लूट का अड्डा” बनाने का आरोप लगाया। फतेहपुर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिनके पास कल तक जमीन नहीं थी, उनके पास आज सैकड़ों बीघा जमीन है। अयोध्या में भी BJP नेताओं पर जमीन कब्जाने का इल्जाम लगाया। उनका दावा था कि BJP के नेता अब “भू-माफिया” बन गए हैं। साथ ही, एक IAS अधिकारी का हवाला दिया, जो भ्रष्टाचार के बाद फरार है और कथित तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय में छिपा हुआ है। इस अधिकारी के पास सैकड़ों बीघा जमीन और प्लॉट होने की बात भी कही।

एनकाउंटर से कुछ नहीं होता, पुलिसिंग ठीक करो

कानून व्यवस्था पर अखिलेश ने योगी के “जीरो टॉलरेंस” नारे को “बकवास” करार दिया। उनका तर्क था कि एनकाउंटर पहले भी हुए, लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी। असली जरूरत पुलिसिंग को दुरुस्त करने की है, जो सरकार नहीं कर रही। गाजियाबाद के विधायक के बयानों का जिक्र कर उन्होंने UP की हालत पर तंज कसा।

इतिहास का तड़का: शिवाजी से लेकर राणा सांगा तक

अखिलेश ने SP सांसद रामजीलाल सुमन के “राणा सांगा गद्दार थे” वाले बयान का बचाव किया। उनका कहना था कि इतिहास के पन्ने पलटने में क्या बुराई है? फिर उन्होंने छत्रपति शिवाजी के तिलक का जिक्र छेड़ा, दावा किया कि उनका तिलक बाएं पैर के अंगूठे से हुआ था। BJP से पूछा कि क्या वे इस इतिहास को स्वीकार करेंगे? उनका तंज था कि अगर BJP औरंगजेब को कोस सकती है, तो SP भी इतिहास उठा सकती है।

कमीशन का नहीं, बंटवारे का झगड़ा

अखिलेश ने कहा कि UP में अच्छी पोस्टिंग के लिए CM का “खास” होना जरूरी है। उनका इशारा था कि भ्रष्टाचार का खेल ऊपर तक जाता है। “यह कमीशन का झगड़ा नहीं, बंटवारे का झगड़ा था,” कहकर उन्होंने सत्ता के भीतर की साजिश का संकेत दिया। यह IAS अभिषेक प्रकाश जैसे मामलों से जोड़ा जा सकता है, जहां जांच दबाने के आरोप लगे। यह बात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रही है कि कुछ अधिकारियों को संरक्षण मिलता है। अखिलेश ने इसे जनता तक पहुंचाने की कोशिश की, पर सबूतों के बिना यह दावा अधूरा है।

सियासत का मास्टरस्ट्रोक या शोर?

अखिलेश यादव का यह बयान एक सधा हुआ सियासी हमला है। भ्रष्टाचार और जमीन कब्जे के आरोपों में कुछ सच है—जैसे अभिषेक प्रकाश का निलंबन और अयोध्या की खबरें। कानून व्यवस्था पर सवाल उठाना उनकी पुरानी रणनीति है, जो आंशिक तथ्यों पर टिकी है। इतिहास का जिक्र BJP को जवाब देने और समर्थकों को जोश देने की कोशिश है। लेकिन “CM ऑफिस में छिपा IAS” या “हर जिला लूटा” जैसे दावे अतिशयोक्ति हैं, जो बिना पुख्ता सबूत के कमजोर पड़ते हैं। यह बयान जनता को BJP के खिलाफ भड़काने और 2027 के चुनाव की जमीन तैयार करने का हथियार है। अखिलेश ने क्रांतिकारियों और लोहिया को याद कर समाजवादी छवि चमकाई, तो BJP को लुटेरा बताकर जनता का गुस्सा भुनाने की कोशिश की। सच और सियासत का यह कॉकटेल कितना असर करेगा, यह वक्त बताएगा। लेकिन इतना साफ है—UP की सियासत में यह नया अध्याय धमाकेदार साबित हो सकता है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »