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Friday, June 20, 2025

अखिलेश की होगी परीक्षा,मैनपुरी का उपचुनाव लिखेगा सैफई परिवार की नई सियासी पटकथा

मुलायम सिंह यादव और मैनपुरी का अटूट रिश्ता किसी से छिपा नहीं है। शायद इसीलिए 26 वर्षों में मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम का तिलिस्म कोई तोड़ नहीं पाया। पहली बार सपा और सैफई परिवार बिना मुलायम के मैनपुरी लोकसभा का उपचुनाव लड़ेंगे। ऐसे में ये चुनाव कई मायनों में अहम है। मैनपुरी का चुनाव ही अब मुलायम के बाद सैफई परिवार की नई सियासी पटकथा लिखेगा।

चार अक्तूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी थी। इसके बाद 1996 में मुलायम सिंह यादव ने पहली बार मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। ये वह चुनाव था, जिसने मैनपुरी की सियासत को पलट कर रख दिया। हर बार लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन मैनपुरी ने हमेशा मुलायम या उनके चुने हुए प्रत्याशी को ही चुना।

पांच बार मुलायम ने मैनपुरी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की और दो बार सीट छोड़कर सैफई परिवार के लिए संसद की राह आसान की। एक बार जहां 2004 में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट छोड़कर भतीजे धर्मेंद्र यादव को संसद पहुंचाया तो वहीं दूसरी बार 2014 में पोते तेजप्रताप यादव को सांसद बनाया। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने खुद मैनपुरी से लड़ा और जीते। ऐसे में एक बात तो साफ है कि प्रत्याशी चाहे जो रहा हुआ, लेकिन चुनाव तो मुलायम के चेहरे पर ही हुआ।

मुलायम सिंह के निधन के बाद उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। मैनपुरी में सैफई परिवार का ये पहला चुनाव है, जो मुलायम सिंह के बिना हो रहा है। ऐसे में इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की असली अग्निपरीक्षा होगी। इस चुनाव से तय हो जाएगा कि आखिर जिस मैनपुरी ने मुलायम पर भरपूर प्यार लुटाया, उसने मुलायम के बाद अखिलेश और सैफई परिवार को कितना अपनाया। ऐसे में इस चुनाव का परिणाम ही अब मुलायम के बाद सैफई परिवार की नई सियासी पटकथा लिखेगा। इसका प्रभाव न केवल मैनपुरी बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में नजर आएगा।

लोकसभा में चुनकर पहुंचने वाले सदस्यों में सैफई कुनबा कभी सबसे ताकतवर रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सैफई परिवार के सर्वाधिक सदस्य चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। इसमें आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव, कन्नौज से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, बदायूं से मुलायम सिंह के भतीजे धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से मुलायम सिंह के भतीजे अक्षय यादव और मैनपुरी से मुलायम सिंह के पौत्र तेजप्रताप यादव लोकसभा सदस्य चुने गए थे।

2019 के लोकसभा में केवल दो सीटें ही सपा बचा पाई। इसमें मैनपुरी से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने और आजमगढ़ से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। बाद में 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने लोकसभा सीट छोड़ दी थी। इसके बाद सैफई कुनबे से लोकसभा में केवल मुलायम सिंह यादव ही बचे थे। अब मुलायम सिंह के निधन के बाद सपा मैनपुरी सीट हार जाती है तो लोकसभा में सबसे बड़ी संख्या में प्रतिनिधित्व करने वाले सैफई कुनबे की उपस्थिति भी खत्म हो जाएगी।

अब तक मैनपुरी से चाहे धर्मेंद्र यादव ने चुनाव लड़ा हो या फिर तेजप्रताप यादव ने। सभी पर मुलायम सिंह यादव की छत्रछाया जगह जाहिर थी। लेकिन अब जब नेताजी नहीं हैं तो प्रत्याशी चाहे जो हो, लेकिन उसे भी खुद को साबित करना होगा। उसे साबित करना होगा कि मैनपुरी में नेताजी की विरासत को वह बखूबी संभाल सकता है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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