वाराणसी, 14 अक्टूबर 2024, सोमवार। तुलसी के दौर से चली आ रही काशी के नाटी इमली के मैदान में भरत मिलाप के दौरान यादव बंधुओं पर पुलिस के लाठी बरसाने को लेकर अखिलेश यादव लाल हो गए है। उन्होंने घटना की कड़ी निंदा की। सपा प्रमुख ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए जमकर खरी खोटी सुनाई। अखिलेश ने कहा कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द की परंपरा को बीजेपी ने खंडित करने का प्रयास किया है। भरत मिलाप के दौरान मची भगदड़ बीजेपी वालों की बदइंतजामी का प्रमाण है। अखिलेश यादव ने रामभक्त यादव बंधुओं पर लाठीचार्ज की वीडियो पोस्ट करते हुए बीजेपी पर गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि भाजपाई नहीं चाहते हैं कि भाईचारे के ऐसे कार्यक्रम सफल हों। रामलीला में भगदड़ बीजेपी सरकार की संकीर्ण राजनीति का प्रतीक है। नाटी इमली के भरत मिलाप की रामलीला 487 साल से चली आ रही परंपरा में यदुकुल के कंधे पर रघुकुल का मिलन होता आया है।
अखिलेश बोले- कमलवंशी दरार पैदा कर रहे
अखिलेश यादव ने कहा कि सूर्यवंशी-चंद्रवंशी के आपसी प्रेम-स्नेह के बीच कमलवंशी लोग सियासी दरार पैदा कर रहे हैं। सरकार की ओर से जहां बैरिकेडिंग की जानी चाहिए वो वहां नहीं करती है और जहां नहीं की जानी चाहिए वहां करती है। कहां करती है ये बताने की जरूरत नहीं है, यह जनता बहुत समझदार है। सदियों पुरानी रामलाली के भरत मिलाप में भगदड़ और राम भक्तों पर लाठीचार्ज से लोग गुस्से में है। लोगों का मानना है कि 480 साल से चली आ रही इस रामलीला को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, लेकिन कभी पुलिस की ओर से लाठीचार्ज जैसी घटना सामने नहीं आई।
पुलिस की बैरिकेडिंग के बाद बढ़ा विवाद
बता दें, नाटी इमली के मैदान में भरत मिलाप रामलीला की तैयारी की जा रही थी। रामलीला में यादव बंधु पुष्पक विमान लेकर पहुंचे थे, तभी भीड़ के दौरान स्थिति कंट्रोल से बाहर हो गई। आरोप है कि पुलिस ने बैरिकेडिंग करके उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद भीड़ को रोकने में नाकाम रही पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर बितर करने का प्रयास किया जिसके बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।
रामलीला देखने पहुंचते हैं हजारों लोग, लेकिन…
समिति के मुकुंद उपाध्याय ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भरत मिलाप देखने पहुंचे लोगों ने कहा है कि सदियों से चली आ रही इस रामलीला में आज तक कभी ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिली। हमेशा से हजारों की संख्या में लोग रामलीला देखने आते रहे हैं फिर भी कार्यक्रम का आयोजन शांतिपूर्वक होता रहा है, लेकिन इस बार जो हुआ वो बनारस की इस रामलीला की परंपरा के खिलाफ है।