लखनऊ, 6 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा बनने जा रही है, जहां विधायकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। 10 अगस्त को विधानसभा मंडप में आयोजित होने वाली इस दो घंटे की ‘एआई पाठशाला’ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के प्रोफेसर विधायकों को एआई की बारीकियां समझाएंगे। यह ऐतिहासिक पहल विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के नेतृत्व में की जा रही है, जिसका उद्देश्य विधायकों के कार्यों को तकनीकी रूप से सशक्त और प्रभावी बनाना है।
10 अगस्त को दोपहर 3 बजे शुरू होगी क्लास
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मंगलवार को मानसून सत्र (11 अगस्त से शुरू) की तैयारियों की समीक्षा बैठक के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 10 अगस्त को दोपहर 3 बजे से विधानसभा मंडप में यह प्रशिक्षण सत्र आयोजित होगा। यह क्लास पूरी तरह स्वैच्छिक होगी, और किसी भी विधायक के लिए इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। इस सत्र में करीब चार प्रोफेसर हिस्सा लेंगे, जो विधायकों को एआई टूल्स के उपयोग, उनके लाभ, और संभावित चुनौतियों के बारे में बताएंगे।
विधानसभा एप को एआई से जोड़ा जाएगा
इस पहल के तहत विधानसभा के आधिकारिक एप को भी एआई तकनीक से जोड़ा जाएगा। इससे विधायकों को अपने भाषणों, दस्तावेजों, और पुरानी बहसों को आसानी से खोजने में मदद मिलेगी। एआई आधारित सर्च से सदन की वीडियो रिकॉर्डिंग भी लिंक होगी, जिससे विधायक अपने भाषणों या दस्तावेजों के अंश तुरंत निकाल सकेंगे। भविष्य में विशेष एआई सहायता इकाइयों का गठन भी किया जाएगा, जो विधायकों को कानूनी अनुसंधान, दस्तावेजों की जांच, और नीतिगत अध्ययनों में तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगी।
एआई से विधायकों के कामकाज में आएगी स्मार्टनेस
प्रशिक्षण में विधायकों को बताया जाएगा कि एआई का उपयोग बिल ड्राफ्टिंग, कानूनी समस्याओं की पहचान, और अन्य राज्यों या देशों के कानूनों की तुलना में कैसे किया जा सकता है। इसके अलावा, एआई सोशल मीडिया, सर्वेक्षण, और याचिकाओं के माध्यम से नागरिकों की राय का विश्लेषण करने में मदद करेगा। विधायक किसी प्रस्तावित कानून के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का पूर्वानुमान भी लगा सकेंगे। साथ ही, एआई डैशबोर्ड के जरिए सरकारी परियोजनाओं की प्रगति और खर्च की रीयल-टाइम निगरानी संभव होगी।
डिजिटल शासन की दिशा में बड़ा कदम
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा, “यूपी विधानसभा को एआई से लैस कर हम देश में एक नया मानदंड स्थापित कर रहे हैं। यह न केवल विधायकों के कार्यों को आसान बनाएगा, बल्कि नीति निर्माण और शासन प्रणाली को अधिक डेटा-आधारित और पारदर्शी बनाएगा।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल उत्तर प्रदेश को डिजिटल शासन की दिशा में अग्रणी बनाएगी और अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल साबित हो सकती है।
प्रशिक्षण में प्रैक्टिकल सेशन भी शामिल
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर नितिन सक्सेना ने बताया कि प्रशिक्षण में चैट जीपीटी जैसे टूल्स के उपयोग और उनकी सीमाओं के बारे में विस्तार से समझाया जाएगा। प्रैक्टिकल सेशन के दौरान विधायकों को एआई सॉफ्टवेयर के उदाहरण दिखाए जाएंगे, ताकि वे इसे आसानी से समझ सकें। यह प्रशिक्षण विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं के समाधान और नीति निर्माण में तकनीक का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
यूपी की सियासत में तकनीकी क्रांति की शुरुआत
यह पहल यूपी की सियासत को तकनीकी युग में ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। विधानसभा में पहले से ही अत्याधुनिक एआई कैमरे लगाने का निर्णय लिया गया है, और अब विधायकों को एआई प्रशिक्षण देने से न केवल विधायी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि जनता के साथ उनका जुड़ाव भी मजबूत होगा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा का यह कदम न केवल तकनीकी नवाचार की दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में भी एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है।