नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में बिचौलिए के रूप में आरोपी श्रवण गुप्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। गुप्ता ने अपने खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने उनके वकील की स्थगन मांग को खारिज कर दिया और मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया।
16 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में श्रवण गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने दलील दी कि उनके मुवक्किल शारीरिक कारणों से जांच में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो सकते, लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपलब्ध हैं। पाहवा ने इसके लिए नया आवेदन दायर करने की बात कही। हालांकि, न्यायमूर्ति नीना बंसल ने कहा कि इस मामले में पहले भी दो बार बहस हो चुकी है और हर बार पाहवा ने गुप्ता के भारत लौटने के लिए समय मांगा, जो “वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए अनुचित” है। अदालत ने बार-बार स्थगन की मांग को अनुचित ठहराते हुए पाहवा के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
घोटाले में गुप्ता की भूमिका
श्रवण गुप्ता, जो 2005 से 2016 तक मेसर्स एमार एमजीएफ लैंड लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और कार्यकारी उपाध्यक्ष रहे, पर आरोप है कि उन्होंने सह-आरोपी गौतम खेतान और गुइडो हैश्के के साथ मिलकर अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में रिश्वत की रकम को सफेद करने के लिए अपतटीय कॉर्पोरेट संरचनाएं बनाईं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, गुप्ता की अपतटीय कंपनियों को घोटाले की आय के रूप में 1,912,000 यूरो और 3,457,180 अमेरिकी डॉलर (लगभग 28.69 करोड़ रुपये) प्राप्त हुए।
देश छोड़ने और रेड कॉर्नर नोटिस
ईडी का दावा है कि गुप्ता ने 2019 में चिकित्सा कारणों का हवाला देकर देश छोड़ दिया और तब से लंदन में हैं। उनके खिलाफ 31 अगस्त 2020 को विशेष न्यायालय द्वारा ओपन-एंडेड एनबीडब्ल्यू और 28 अगस्त 2023 को रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया। विशेष न्यायालय (पीएमएलए) ने 15 मार्च 2022 को मामले का संज्ञान लिया। ईडी ने दो अनंतिम कुर्की आदेशों के तहत 21 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।
जांच जारी
ईडी अपराध की आय के अंतिम उपयोग की जांच में जुटी है। श्रवण गुप्ता की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला इस हाई-प्रोफाइल मामले में अगला महत्वपूर्ण कदम होगा।