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Tuesday, July 1, 2025

आगरा: प्यार की सजा, इज्जत के नाम पर खौफनाक साजिश; पति, पिता और देवर ने मिलकर उतारा सुनीता को मौत के घाट

आगरा, 2 जून 2025, सोमवार: उत्तर प्रदेश के आगरा के खैरागढ़ में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो इंसानियत को शर्मसार कर दे। एक घर, जो प्यार और सुरक्षा का आशियाना होना चाहिए था, वह बन गया एक बेगुनाह महिला की कब्रगाह। सुनीता, जिसके सपनों और दिल की धड़कनों को उसके ही अपनों ने बेरहमी से कुचल दिया। पति ने पैर पकड़े, देवर ने हाथ जकड़े, और पिता ने गला दबाकर उसकी सांसें छीन लीं। यह कहानी नहीं, एक ऐसी सच्चाई है, जो खून को जमा देती है।

प्यार बना अपराध, इज्जत बनी कातिल

31 मई की वह काली रात, जब खैरागढ़ के भोपुर गांव में सुनीता का शव सड़क किनारे पड़ा मिला। पुलिस ने शव की पहचान के लिए तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं, और जल्द ही सुनीता के पिता कोमल सिंह का फोन आया। धौलपुर के बसई नवाब से आए कोमल ने दावा किया कि यह उनकी बेटी सुनीता है। लेकिन उनके आंसुओं में छिपी थी एक खौफनाक साजिश।

पुलिस की पूछताछ में कोमल ने बताया कि सुनीता की शादी खैरागढ़ के पवन से हुई थी, लेकिन दोनों के बीच तनाव और झगड़े आम थे। सुनीता कुछ समय से अपने मायके में थी। लेकिन कहानी में मोड़ तब आया, जब सुनीता की बहन पूजा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। पूजा ने बताया कि सुनीता का दिल अपने चचेरे देवर विष्णु के लिए धड़कता था। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे, और सुनीता अपने पति की मारपीट से तंग आकर विष्णु से शादी करना चाहती थी।

सुनीता की आखिरी पुकार

शुक्रवार, 29 मई की रात को सुनीता ने विष्णु को फोन किया। उसकी आवाज में डर था, “मेरे पिता और पति मुझे मार डालेंगे,” उसने कहा और फोन कट गया। विष्णु ने कोमल को कई बार कॉल की, लेकिन जवाब नहीं मिला। उसने पूजा को बताया, और जब पूजा अपनी मां के पास पहुंची, तो मां की डरी हुई आंखों ने सारी सच्चाई उगल दी। मां ने कांपते लबों से कहा, “सुनीता अब नहीं आएगी। उसे कोमल, पवन और देवर जल सिंह ने मिलकर मार डाला।”

खौफनाक साजिश का खुलासा

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और कोमल, पवन, और जल सिंह को हिरासत में लिया। पूछताछ में तीनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। सुनीता के पिता को लगता था कि बेटी का “अवैध संबंध” उनकी इज्जत पर दाग लगा रहा है। इस “इज्जत” को बचाने के लिए उन्होंने एक खौफनाक प्लान बनाया। धौलपुर में ही तीनों ने मिलकर सुनीता की हत्या कर दी।

सुनीता ने अपनी जान बचाने की पूरी कोशिश की। वह एक बार भागकर कमरे में छिप गई, लेकिन हैवानियत ने उसे वहां भी नहीं बख्शा। तीनों ने खिड़की तोड़कर उसे बाहर घसीटा और बेरहमी से उसकी जान ले ली। फिर, शव को बाइक पर लादकर खैरागढ़ लाए और सड़क किनारे फेंक दिया, ताकि कोई शक न करे।

न्याय की राह

पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, और मामला अब कोर्ट में है। लेकिन यह घटना एक सवाल छोड़ जाती है – क्या प्यार करना इतना बड़ा गुनाह है कि उसकी सजा मौत हो? सुनीता की चीखें, उसकी आखिरी पुकार, और उसका टूटा हुआ सपना आज भी खैरागढ़ की गलियों में गूंज रहा है। यह कहानी सिर्फ एक हत्या की नहीं, बल्कि उस मानसिकता की है, जो इज्जत के नाम पर इंसानियत को कुचल देती है।

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