आगरा, 26 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस ने धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। देहरादून से बरामद एक युवती ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे किए, जिसने इस गिरोह के काले कारनामों को उजागर कर दिया। युवती ने बताया कि फेसबुक के जरिए एक सुनियोजित साजिश के तहत हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जाता था और उन्हें प्रेमजाल में फंसाकर इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया जाता था।
फेसबुक से शुरू हुआ प्रेमजाल
युवती ने बताया कि 2019 में अबू तालिब नामक व्यक्ति ने फेसबुक पर उससे संपर्क शुरू किया। उसने इस्लाम की शिक्षाओं के बहाने भावनात्मक रिश्ता बनाया और धीरे-धीरे शादी का दबाव डाला। इसके बाद उसे आयशा नाम की महिला और अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप से मिलवाया गया, जो इस रैकेट का हिस्सा थे। आयशा ने युवती को बेहतर जीवन और सुविधाओं का लालच देकर धर्मांतरण के लिए उकसाया। शर्त थी कि उसे किसी की दूसरी, तीसरी या चौथी पत्नी बनना होगा।
‘तीसरी-चौथी शादी’ का दबाव और फर्जी सिम का खेल
युवती के मुताबिक, अब्दुल रहमान ने उसे तीसरी या चौथी पत्नी बनने के लिए मजबूर किया और ऐसा न करने पर मदद से इनकार किया। उसे फोन और सिम तोड़ने की ट्रेनिंग दी गई, जिसमें कीपैड फोन और महंगी फर्जी सिम (4,000-5,000 रुपये) का इस्तेमाल होता था। उसे झारखंड से देहरादून, दिल्ली और फिर एक ‘सुरक्षित जगह’ ले जाने की योजना बताई गई।
सोशल मीडिया से फंड जुटाने की साजिश
युवती ने खुलासा किया कि आयशा का एक फंड मैनेजर अन्य लड़कियों की कहानियां सोशल मीडिया पर साझा कर फंड जुटाता था। अबू तालिब, अब्दुल रहमान और दिल्ली के एक अन्य व्यक्ति ने उसे ‘मरियम’ नाम देकर इस्लामिक प्रथाओं का पालन करने और वॉइस नोट में ‘रिवर्टेड मुस्लिमा’ कहने को मजबूर किया, ताकि धनी लोगों से चंदा लिया जा सके।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में कई संदिग्धों की पहचान की है, जिनमें अबू तालिब, आयशा, अब्दुल रहमान उर्फ रूपेंद्र प्रताप और दिल्ली का एक अन्य व्यक्ति शामिल हैं। जांच में पता चला कि यह गिरोह सुनियोजित तरीके से हिंदू लड़कियों को निशाना बनाता था। पुलिस अब इस रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है।
यह मामला धर्मांतरण के गंभीर मुद्दे को फिर से चर्चा में लाया है, और पुलिस इस सिलसिले में कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।