नई दिल्ली/तेल अवीव, 14 जून 2025: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की और ईरान पर हाल के सैन्य हमले ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ की विस्तृत जानकारी साझा की। इस हमले को इजरायल की आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक नीति का हिस्सा माना जा रहा है। पीएम मोदी ने इस बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने नेतन्याहू के साथ क्षेत्र में शांति और स्थिरता की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा, “इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का फोन आया। उन्होंने मुझे मध्य पूर्व की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। मैंने भारत की चिंताओं को उनके समक्ष रखा और क्षेत्र में शांति व स्थिरता की जल्द बहाली की जरूरत पर बल दिया।”
हाल ही में भारत ने भी आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था, जिसे आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक माना गया। इजरायल का ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ भी इसी तरह की आक्रामक रणनीति को दर्शाता है। दोनों देशों के नेताओं की यह समान सोच आतंकवाद के खिलाफ उनकी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने पर भी चर्चा की। भारत और इजरायल के बीच रक्षा और सामरिक क्षेत्रों में पहले से ही गहरा सहयोग है, और इस फोन कॉल ने दोनों देशों के बीच भविष्य में और घनिष्ठ साझेदारी की संभावनाओं को बल दिया।
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और इजरायल की यह बातचीत न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। दोनों देशों की जीरो टॉलरेंस नीति और सैन्य क्षमताओं का यह समन्वय क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए एक मजबूत संदेश देता है।
हालांकि, भारत ने हमेशा की तरह क्षेत्र में तनाव कम करने और सभी पक्षों के बीच संवाद के जरिए समाधान की वकालत की है। पीएम मोदी ने अपने बयान में भी यही रुख दोहराया और कहा कि भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय मध्य पूर्व की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। ईरान ने इजरायल के हमले की कड़ी निंदा की है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। ऐसे में भारत और इजरायल के बीच यह बातचीत वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।