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Friday, August 1, 2025

कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर विजय रूपाणी सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद हाई कोर्ट ने खिंचाई की

कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर विजय रूपाणी सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों पर सोमवार को स्वत: संज्ञान लेने के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार खिंचाई की। हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमितों के आधिकारिक आंकड़ों और वास्तविक पॉजिटिव केसों में अंतर को लेकर सरकार से जवाब तलब किया है।

चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की अगुआई वाली डिविजन बेंच ने हैरानी जाते हुए कहा, ”राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे आंकड़े वास्तविक पॉजिटिव केसों से मेल नहीं खाते हैं।” कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि अस्पतालों के बाहर एंबुलेंसों की कतारें क्यों लगी हैं और मरीजों को भर्ती होने के लिए भटकना क्यों पड़ रहा है। 

एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने जब यह दावा किया कि अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बिस्तर उपलब्ध हैं तो चीफ जस्टिस ने कहा, ”आप कहते हैं कि केवल 53 फीसदी बिस्तर भरे हुए हैं, तो निजी और सरकारी अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिलने को लेकर इतना हल्ला क्यों है?”

चीफ जस्टिस ने आगे कहा, ”अस्पताल उन मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। यह समझने में असमर्थ हूं कि इस समय भी क्यों लोग पैसा बनाने में लगे हैं। यहां तक की ऑक्सीजन की भी कालाबाजारी हो रही है।” 

रेमडेसिवीर इंजेक्शन के लिए मारामारी को लेकर एडवोकेट जनरल ने कहा कि डॉक्टर मरीजों को यह अंधाधुंध लगा रहे हैं और एक सप्ताह में यह मुद्दा बीते दिन की बात हो जाएगी। इस बयान पर उन्हें फटकार लगाते हुए जस्टिस भार्गव डी कारिया ने पूछा, ”क्या आप यह कहना चाहते हैं कि रेमडेसिवीर की दिक्कत के पीछे डॉक्टर हैं? क्या आपको आइडिया है कि रेमडेसिवीर का क्या इस्तेमाल है?” जब त्रिवेदी ने कहा कि जिन लोगों को इसकी वास्तव में आवश्यकता है उनके लिए पर्याप्त स्टॉक है तो कोर्ट ने कहा, ”आपको लोगों को जागरूक करना चाहिए कि यह इजेक्शन कब लेना चाहिए।”

यह कहते हुए कि टेस्टिंग केवल बड़े शहरों में हो रही है, पूरे राज्य में नहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या टेस्टिंग हर कस्बे और तालुका में हो रही है? जब त्रिवेदी ने कहा कि आदिवासी जिले डांग्स के अलावा हर जिले में टेस्टिंग की सुविधा है तो चीफ जस्टिस ने कहा कि यह आनंद जिले में भी नहीं हो रहा है। सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए वकील आनंद याज्ञनिक ने कहा, ”33 में से 11 डिस्ट्रिक्ट जजों ने कहा है कि गुजरात के बड़े शहरों के अलावा कहीं आरटी-पीसीआर जांच नहीं हो रही है। लेकिन सरकार कह रही है कि यह जिले में यह सुविधा है।” एक अन्य वकील अमित पंचाल ने कहा कि कम से कम छह जिलों में आरटी-पीसीआर जांच की सुविधा नहीं है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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