लखनऊ, 12 नवंबर : वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण त्यागी बने और फिर नाम बदलने वाले ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने मंगलवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में अपना वसीयतनामा जारी किया। उन्होंने मृत्यु के बाद हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने शव को अग्नि देने और अस्थियां प्रवाहित करने के लिए नाम भी बताए हैं।
ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने अपने वसीयतनामा में कहा है कि मैं इस्लाम धर्म में पैदा हुआ और मेरा नाम सैयद वसीम रिजवी था। मैंने इस्लामी सिद्धांतों को नकारते हुए वर्ष 2021 में सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है। मुझे सेंगर राजपूत परिवार ने पुत्र मानते हुए गोद लिया है। इसके चलते मेरा नाम जितेंद्र नारायण त्यागी से ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर हो गया। उन्होंने कहा कि मेरे इस्लामी परिवार में सभी लोग इस्लामी परंपरा के हिसाब से अपने मजहब को मानते हैं। लेकिन, अच्छी बात यह है कि वह कट्टरपंथी मानसिकता नहीं रखते हैं।
अंतिम संस्कार करने के लिए तय किए ये नाम
ठाकुर जितेंद्र नारायण ने कहा कि जगतगुरु रामभद्राचार्य ने मुझे तुलसी पीठ में दीक्षा दी है। इसलिए वसीयतनामे में यह इच्छा प्रकट की है कि अगर उनका स्वास्थ्य उनको अनुमति दे तो मेरी अस्थियों का विसर्जन उनके हाथों से ही कराया जाए। अगर ऐसा न हो पाए तो मेरे द्वारा अधिकृत किए गए लोग ही मेरी अस्थियों का विसर्जन करेंगे।
उन्होंने चिता को अग्नि देने के लिए लखनऊ नाका हिंडोला के राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक मिहिरजध्वज का नाम लिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड निवासी हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभात कुमार सेंगर ने मेरा बहुत साथ दिया। मुझे अपने परिवार का एक सदस्य स्वीकार करते हुए मुझे अपनी माता यशवंत कुमारी सेंगर के माध्यम से परिवार में मान्यता दी।
राष्ट्रभक्त हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर (पत्रकार) मेरे भाई के समान हैं। इन तीनों व सेंगर परिवार का कोई भी अन्य सदस्य जो मौके पर उपलब्ध हो, उनको चिता में अग्नि देने के लिए अधिकृत करता हूं।