वाराणसी, 16 मार्च 2025, रविवार। प्रयागराज महाकुंभ से वाराणसी आए नागा साधु संतों का प्रवास होली महोत्सव के साथ ही समाप्त हो गया है। अब ये नागा साधु अपने-अपने अखाड़े से सर्टिफिकेट लेकर पहाड़ों की ओर प्रस्थान करेंगे और गुरुदेव के आदेश के बाद अपने-अपने स्थान पर तपस्या करेंगे। इन नागा साधुओं ने महाकुंभ में अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूरा किया है और अब वे अपने गुरुओं के आदेश के अनुसार अपने स्थानों पर जाकर तपस्या करेंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो इन साधुओं को अपने आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ने में मदद करेगा।
इससे पहले, नए नागा साधुओं को सर्टिफिकेट दिए गए और नए कैबिनेट का गठन भी किया गया। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो अखाड़े के प्रबंधन और संचालन को मजबूत बनाने में मदद करेगा। अखाड़े में कई महत्वपूर्ण पद होते हैं, जिनमें महंत, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत और कोठारी शामिल हैं। इन पदों की जिम्मेदारी अखाड़े के प्रबंधन और संचालन से जुड़ी होती है। ये पद अखाड़े के संचालन और प्रबंधन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
देश में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े
देश में 13 अखाड़ों को धार्मिक तौर पर मान्यता प्राप्त अखाड़े माना जाता है। इसमें श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री पंच अग्नि अखाड़ा महाराज, श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण, श्री पंचायती नया निर्वाण उदासीन अखाड़ा और श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा शामिल हैं।
महाकुंभ के बाद जूना अखाड़े का नया अध्याय: काशी में हुआ पट्टाभिषेक
थानापति डाक्टर शिवानंद पूरी महाराज ने कहा कि काशी के हनुमान घाट पर जूना अखाड़ा का विशाल आश्रम और मुख्यालय होने से महाकुंभ के समापन के मौके पर यहीं अखाड़े के प्रधान और गवर्निंग बॉडी का चुनाव हुआ, जिस पर देशभर के साधु-संतों की निगाहें टिकी रही। अध्यक्ष से लेकर अन्य पदाधिकारी, मढ़ियों के महंत, अष्टकौशल महंत, कोतवाल और कोठारी के पद पर चुने गए संतों का पट्टाभिषेक भी काशी में हुआ। अब 20 मार्च तक नये नागा साधुओं को सार्टिफिकेट मिल जायेगा। उन्होंने बताया प्रयागराज में 12 साल पर लगने वाले महाकुंभ और 6 साल पर लगने वाले अर्धकुंभ तक नये पदाधिकारियों कार्यकाल होते हैं।
निरंजनी अखाड़े के पदों का रहस्य: जानें सचिव से लेकर पुजारी तक की जिम्मेदारियां
निरंजनी अखाड़े में कई महत्वपूर्ण पद होते हैं, जिनमें सचिव, थानापति, कुठारे, जिलेदार और पुजारी शामिल हैं। सचिव अखाड़े के मुखिया होते हैं और पूरे देश की देखरेख करते हैं। थानापति को एक स्थान दिया जाता है और वह वहां के मुखिया होते हैं। कुठारे यानी स्टोरकीपर खाद्यान्न के रख-रखाव और वितरण की जिम्मेदारी संभालते हैं। ये बातें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जिलेदार को बड़ा जिला मिलता है और पुजारी को विभिन्न मंदिरों में 6 साल के लिए सेवा करने भेजा जाता है। अखाड़े में महापुरुष, दिगंबर और कारबारी जैसे अन्य पद भी होते हैं। निरंजनी अखाड़े में श्री महंत अखाड़े के मुखिया होते हैं।