अंतरिक्ष में लोबिया के बीजों को अंकुरित करने के बाद अब इसरो के लैब में पालक उगाने में सफलता मिली है। इस लैब को पीएसएलवी राकेट का उपयोग कर बनाया गया है। यह लैब 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है।
विज्ञानी पीओईएम-4 के तहत रॉकेट के चौथे चरण का उपयोग कर वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं। प्रयोग से जुड़े विज्ञानियों ने कहा है कि एमिटी यूनिवर्सिटी-मुंबई द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया पालक का कैलस विकसित हो रहा है। जब कोशिकाएं विभाजित होकर अनेक कोशिकाओं का समूह बनती है उसे कैलस कहते है।
इसरो ने क्यों चुना पालक?
विश्वविद्यालय परिसर में रखे गए एक समान माड्यूल में भी कैलस की समान वृद्धि देखी गई है। बीजों के बजाय कैलस उगाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि पालक का कैलस तेजी से बढ़ता है और बीज अंकुरण प्रक्रिया की तुलना में विकास दर को आसानी से मापा जा सकता है।