नई दिल्ली, 14 दिसंबर 2024, शनिवार। छत्तीसगढ़ के दक्षिणतम छोर सुकमा जिले के अति-माओवाद प्रभावित और दुर्गम क्षेत्र पूवर्ती में विकास की एक नई किरण पहुंची है। आजादी के 78 साल बाद पहली बार इस गांव के लोगों ने दूरदर्शन पर देश-दुनिया की खबरें, धारावाहिक और स्थानीय फिल्में देखी। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो विकास की तेजी माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव हो रहा है।
पूवर्ती के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी दूरदर्शन के कार्यक्रमों को देखने के लिए घंटों टीवी सेट के पास बैठे रहे। यह दृश्य एक नई उम्मीद की किरण को दर्शाता है जो विकास और शांति का नया अध्याय लिख रही हैं। इस पहल ने यह साबित किया है कि विकास की तेजी माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव हो रहा है। जिससे पूवर्ती, सिलगेर, टेकलगुड़ियम जैसे सुदूर गांवों में इस तरह की योजनाएं विकास और शांति का नया अध्याय लिख रही हैं।
ग्रामीण विकास में एक नया कदम: बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और कार्टून
इस ऐतिहासिक अवसर पर, गांव के बच्चों ने ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और कार्टून देखकर न केवल खुशी का अनुभव किया, बल्कि उनके चेहरे पर सीखने और उत्सुकता की झलक भी साफ देखी गई। यह पहल ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है जो बच्चों को शिक्षा और ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन भी प्रदान करता है। इस पहल के माध्यम से, बच्चों को विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और कार्टून दिखाए गए, जिससे उन्हें नए विचारों और अवधारणाओं के बारे में जानने का अवसर मिला। यह पहल न केवल बच्चों के शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि उन्हें अपने आसपास की दुनिया के बारे में भी जागरूक बनाएगी। इस पहल की सफलता से यह साबित होता है कि ग्रामीण विकास में शिक्षा और ज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। यह पहल अन्य गांवों और समुदायों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुंचाने की पहल
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुदूर गांवों तक पहुंचाने के उद्देश्य से नियद नेल्लानार योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना है। इस योजना के माध्यम से, सरकार ग्रामीणों तक शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य आवश्यक सेवाओं को पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा, योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए भी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पहल पर इस योजना का संचालन किया जा रहा है, जो कि ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्रामीणों को सौर ऊर्जा से मिली राहत
छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) विभाग ने पूवर्ती गांव में सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण का वितरण किया, जिससे ग्रामीणों को बिजली की कमी की समस्या से मुक्ति मिली है। इस पहल के तहत, परिवारों को सोलर लाइट और सोलर पंखे वितरित किए गए, जिससे उन्हें अंधेरे से मुक्ति मिली है। इसके साथ ही, दूरदर्शन के सेट पूवर्ती, टेकलगुडियम और सिलगेर में क्रमशः दो-दो सेट स्थापित किए गए हैं, जिससे ग्रामीणों को शिक्षा और ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन भी प्रदान किया जा रहा है। यह पहल ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ग्रामीणों को सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की सुविधा प्रदान की जा रही है।
दूरदर्शन देखना किसी चमत्कार होने जैसा: ग्रामीणों की खुशी और उम्मीदें
नियद नेल्लानार गांव के ग्रामीणों ने दूरदर्शन देखने के अनुभव को किसी चमत्कार होने जैसा बताया है। उन्होंने कहा कि पहली बार देश-दुनिया की खबरें और धारावाहिक देखकर ऐसा लग रहा है जैसे हम भी अब बाकी दुनिया से जुड़े हैं। गांव की बंजाम मड़गू ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में टीवी आएगा। सोलर लाइट और पंखे से अब रातें रोशनी से भर जाएंगी और गर्मी से भी राहत मिलेगी। यह हमारे लिए चमत्कार होने जैसा है। गांव के युवा नुप्पो हड़मा ने कहा कि अब बच्चों को पढ़ाई करने में आसानी होगी, क्योंकि सोलर लाइट की मदद से रात को भी आसानी पढ़ सकेंगे। दूरदर्शन पर आने वाले ज्ञानवर्धक कार्यक्रमो से बच्चों को नई जानकारी मिलेगी। ग्रामीणों की खुशी और उम्मीदें इस बात का प्रमाण हैं कि यह पहल उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल होगी।
विकास की दिशा में बड़ा परिवर्तन: सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण
कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा है कि पूवर्ती जैसे दूरस्थ और माओवाद प्रभावित गांवों तक सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण पहुंचाना विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह ग्रामीणों की जरूरतें पूरी कर रहा है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्थायी ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है।
पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीणों में खुशी की लहर
सुकमा जिले में जनजातीय वर्गों की बहुलता है, जो वन संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के प्रति सदैव तत्पर रहते हैं। सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों के वितरण से न केवल ग्रामीण बिजली पर निर्भरता से मुक्त हो रहे हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहन दे रहा है। अक्षय ऊर्जा के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और यह सतत विकास का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा। सौर ऊर्जा एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है, जो हमें बिजली प्रदान करता है और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता है। इस प्रकार, सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों के वितरण से ग्रामीणों को कई लाभ हो रहे हैं और यह पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहन दे रहा है।