वाराणसी, 30 जून 2025: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रतिष्ठित सेंट्रल हिंदू स्कूल (CHS) में कक्षा 6 के दाखिले में लागू लॉटरी सिस्टम के खिलाफ छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। सोमवार को स्कूल परिसर के बाहर सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन कर पारंपरिक प्रवेश परीक्षा प्रणाली को बहाल करने की मांग उठाई। नारों और बैनरों के साथ छात्रों ने लॉटरी सिस्टम को “अन्यायपूर्ण” और “अपारदर्शी” करार देते हुए प्रशासन पर सवाल खड़े किए।
लॉटरी सिस्टम पर क्यों उठा विवाद?
कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ लॉटरी सिस्टम अब तक CHS में दाखिले का आधार बना हुआ है। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे छात्र विपुल सिंह ने कहा, “लॉटरी से दाखिला मेधावी छात्रों के साथ धोखा है। यह सिस्टम योग्यता को दरकिनार कर संयोग पर टिका है। हम चाहते हैं कि मेहनत और प्रतिभा को महत्व देने वाली प्रवेश परीक्षा पुनः शुरू हो।”
छात्रों का आरोप है कि लॉटरी प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है। कई अभिभावकों ने दावा किया कि प्रभावशाली लोग अपने रसूख और धन के दम पर अपने बच्चों का दाखिला सुनिश्चित कर रहे हैं, जिससे सामान्य परिवारों के मेधावी छात्र अवसरों से वंचित हो रहे हैं।
“BHU की परंपरा को नुकसान”
छात्रों ने तर्क दिया कि BHU और CHS जैसे संस्थान अपनी मेधा-आधारित शिक्षा प्रणाली के लिए जाने जाते हैं। प्रदर्शनकारी छात्रा अनन्या मिश्रा ने कहा, “प्रवेश परीक्षा न सिर्फ छात्रों की योग्यता की कसौटी है, बल्कि यह हमें मेहनत और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाती है। लॉटरी सिस्टम इस भावना को कुचल रहा है।”
प्रशासन को अल्टीमेटम
प्रदर्शनकारियों ने स्कूल प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे। छात्रों ने मांग की है कि लॉटरी सिस्टम को तत्काल खत्म कर प्रवेश परीक्षा लागू की जाए और दाखिला प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
प्रशासन की चुप्पी
अभी तक CHS प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, स्कूल प्रबंधन इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है। छात्रों का कहना है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
क्या कहते हैं अभिभावक?
अभिभावकों ने भी छात्रों का समर्थन किया है। एक अभिभावक रमेश तिवारी ने कहा, “हम अपने बच्चों को दिन-रात पढ़ाते हैं ताकि वे CHS जैसे स्कूल में पढ़ सकें। लेकिन लॉटरी सिस्टम उनकी मेहनत को बेकार कर रहा है। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
आगे क्या?
छात्रों का यह आंदोलन वाराणसी में शैक्षिक सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यदि प्रशासन ने जल्द ही इस मुद्दे का समाधान नहीं किया, तो यह प्रदर्शन और तेज हो सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें BHU प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या काशी की इस ऐतिहासिक संस्था में मेधा की जीत होगी, या लॉटरी का खेल जारी रहेगा? यह समय ही बताएगा।