वाराणसी, 9 जून 2025, सोमवार: संस्कृत शिक्षा की विश्व प्रसिद्ध संस्था, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रशासनिक लापरवाही के कारण सुर्खियों में है। सामाजिक विज्ञान विभाग में पत्रकारिता, जनसंपर्क, पुरातत्व, और संग्रहालय विज्ञान जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए सत्र 2025-26 की आवेदन प्रक्रिया जोरों पर है, लेकिन सत्र 2022-23 के छात्रों को अभी तक उनके अंकपत्र नहीं मिले हैं। इस देरी ने सैकड़ों छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता के भंवर में डाल दिया है।
छात्रों का आरोप है कि UPDESCO द्वारा दो बार त्रुटिपूर्ण अंकपत्र जारी किए गए, जिसके कारण प्रक्रिया बार-बार अटक रही है। विभागीय समन्वय की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। कई छात्र सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाए, और कुछ की आयुसीमा पार होने से उनके करियर के अवसर छिन गए।
छात्रों का कहना है कि वे महीनों से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन प्रशासन से उन्हें केवल आश्वासन और टालमटोल भरे जवाब मिल रहे हैं। एक छात्र ने गुस्से में कहा, “हमारा भविष्य दांव पर है, और विश्वविद्यालय को कोई फर्क नहीं पड़ता।”
विश्वविद्यालय प्रशासन की इस लापरवाही ने न केवल संस्थान की साख पर सवाल उठाए हैं, बल्कि छात्रों के बीच भी आक्रोश पैदा कर दिया है। सवाल उठता है कि क्या ऐसी प्रतिष्ठित संस्था में छात्रों के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ उचित है?