मुजफ्फरनगर, 26 मई 2025, सोमवार। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में जिला प्रशासन और पुलिस ने एक अवैध मस्जिद निर्माण के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। भोपा थाना क्षेत्र के मोरना गांव में बिना सरकारी अनुमति के बन रही मस्जिद को सील कर दिया गया है। इस मामले में दो लोगों, मस्जिद संरक्षक नियाजउद्दीन और प्लॉट मालिक यूनुस, को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार के उस नियम के तहत की गई, जिसमें बिना शासन की अनुमति के किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण अवैध माना जाता है।
कैसे सामने आया मामला?
रविवार शाम को जिला प्रशासन को सूचना मिली कि मोरना गांव में कुछ लोग बिना अनुमति के एक धार्मिक स्थल का निर्माण करवा रहे हैं। इस सूचना पर तुरंत एक्शन लेते हुए एसडीएम जानसठ ने तहसीलदार के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित की। पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची इस टीम ने पाया कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी वैध अनुमति के चल रहा था। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि निर्माण कार्य नियमों का खुला उल्लंघन था। इसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए निर्माण स्थल को सील कर दिया।
पुलिस ने की कड़ी कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मौके से दो मुख्य आरोपियों, नियाजउद्दीन और यूनुस, को हिरासत में लिया। दोनों के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 170 के तहत मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। एसपी ग्रामीण आदित्य बंसल ने बताया कि सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा, “नियमों का उल्लंघन कर अवैध निर्माण करवाना गैरकानूनी है। शांति भंग करने की आशंका को देखते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और साइट को सील कर दिया गया।”
क्या कहता है नियम?
उत्तर प्रदेश में किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए शासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। यह नियम सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है और इसका उद्देश्य सामाजिक सौहार्द बनाए रखना और अवैध निर्माण पर रोक लगाना है। मोरना गांव में हुए इस अवैध निर्माण ने स्थानीय प्रशासन की सतर्कता को उजागर किया है, जो नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रशासन की सख्ती का संदेश
मुजफ्फरनगर प्रशासन की इस कार्रवाई ने स्पष्ट संदेश दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस घटना ने यह भी दर्शाया कि प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। स्थानीय लोगों में इस कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कदम कानून के दायरे में और निष्पक्षता के साथ उठाया गया है।