पटना, 25 जुलाई 2025: बिहार में सरकारी खजाने से खर्च हुए 71 हजार करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा ऑडिट रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बिहार विधानसभा में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024 में 70,877.61 करोड़ रुपये के खर्च का कोई स्पष्ट विवरण सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक 49,649 उपयोगिता प्रमाणपत्र (Utilization Certificates) लंबित थे, जिनका कोई हिसाब-किताब जमा नहीं किया गया। ये प्रमाणपत्र विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए आवंटित धन के उपयोग को दर्शाते हैं। इतनी बड़ी राशि के खर्च का हिसाब न होने से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी उजागर होती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई विभागों ने खर्च के ब्योरे को CAG के समक्ष पेश नहीं किया, जिससे वित्तीय अनियमितताओं की आशंका बढ़ गई है। इस खुलासे ने विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का मौका दिया है। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसे “वित्तीय कुप्रबंधन का जीता-जागता सबूत” करार देते हुए तत्काल जांच की मांग की है।
वहीं, सत्ताधारी दल के प्रवक्ता ने दावा किया कि सरकार CAG की सिफारिशों को गंभीरता से ले रही है और लंबित प्रमाणपत्रों को जल्द से जल्द जमा करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने और उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर जमा करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की सिफारिश की है। इस मामले ने बिहार में प्रशासनिक जवाबदेही पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।