विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को फिजी, कोमोरोस, मेडागास्कर और सेशेल्स में 20 लाख डॉलर की सौर परियोजनाओं को संचालित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के साथ एक परियोजना कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि भारत की ओर क्वाड जलवायु कार्य समूह की पहल के तहत हिंद प्रशांत देशों में नई सौर परियोजनाओं में 20 लाख डालर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
21 सितंबर को अमेरिका के डेलावेयर में क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में जारी विलमिंगटन घोषणा में कहा गया था कि क्वाड देश सहयोगी देशों में पूरक और उच्च-मानक निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को क्रियान्वित करने के लिए नीति और सार्वजनिक वित्त के माध्यम से मिलकर काम करेंगे। इसमें यह भी कहा गया था कि ये देश स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति शृंखला में भागीदार बनें।
आगामी परियोजनाओं के माध्यम से भारत इन देशों में कृषि उत्पादों में आने वाली खराबी, स्वास्थ्य केंद्रों में लगातार बिजली आपूर्ति और दूरदराज के क्षेत्रों में सिंचाई के मुद्दों से निपटने के लिए तत्पर है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, आईएसए के एक अध्ययन के अनुसार- इन देशों में ग्रिड बिजली आपूर्ति या सौर मिनी ग्रिड की व्यवस्था नहीं हैं। इन देशों में सौर परियोजनाएं शीत भंडारण, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के सौरीकरण और सौर जल पंपिंग प्रणालियों के क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से इन हिंद प्रशांत देशों में ऊर्जा पहुंच बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और विश्वसनीय व गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति प्रदान करने में मदद मिलेगी।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ऊर्जा और बिजली के विश्वसनीय स्रोतों तक असमान पहुंच ने दुनियाभर के देशों और समुदायों के आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को प्रभावित किया है। सौर ऊर्जा इन देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने का एक अच्छा उपाय है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि इन देशों में भारत के स्वच्छ ऊर्जा निवेश का यह नया दौर जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था में इन देशों के बदलाव को बढ़ावा देने के लिए क्वाड की प्रतिबद्धता को मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे लोगों, ग्रह और समृद्धि के लिए सकारात्मक प्रभाव होगा।